कांग्रेस अध्यक्ष भूरिया ने ओला प्रभावित को मुआवजा न मिलने से तंग आकर




आखिर ओला प्रभावित किसानों को मुआवजे के लिए सरकार कब तक यूं तरसायेगी ?: भूरिया




मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद कांतिलाल भूरिया ने राजगढ़ जिले के ग्राम उथामपुरा के ओला प्रभावित किसान गोवर्धन राठौर द्वारा मुआवजा न मिलने से तंग आकर की गई आत्महत्या पर गहरी चिंता प्रगट करते हुए कहा है कि हर किसान को रबी की फसल से बड़ी आशाएं रहती हैं और भारतीय किसान का सारा अर्थतंत्र उसी पर निर्भर रहता है। इसी फसल के बूते पर वह अपनी बड़ी-छोटी पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाता है और खेती के लिए उठाया कर्ज भी चुकाता है। जब ओला-पाला, अतिवृष्टि और सूखे की मार पड़ती है तो किसान की हिम्मत जवाब दे जाती है। ऐसे संकट के समय सरकार को उसके साथ खड़े होकर मुआवजे के रूप में अविलंब उसकी मदद करना चाहिए, जिससे कि प्राकृतिक प्रकोप के कारण अचानक संकटापन्न किसानों के परिवारों को तात्कालिक रूप से कुछ राहत मिल सके। आपने मृत किसान गोवर्धन राठौर के प्रकरण में मुआवजे का अविलंब भुगतान करने एवं जिन शासकीय सेवकों ने उसके प्रकरण में विलंब कर उसको आत्महत्या के लिए मजबूर किया है, उनके खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की है।
 
भूरिया ने कहा है कि प्रदे में एक अन्नदाता किसान को इस तरह आत्महत्या के लिए विवष होना पड़े, तो ऐसी स्थिति सरकार के लिए बड़े शर्म की बात है, क्योंकि मुसीबत अथवा संकट की इंतहा होने पर ही व्यक्ति आत्महत्या जैसा बड़ा निर्णय लेता है। आपने कहा है कि इस वर्ष पाला और ओला प्रभावित किसानों को उनकी बर्बाद फसल के मुआवजे के भुगतान में जिला प्रशासन के स्तर पर आपराधिक विलंब किया जा रहा है। फसल नुकसानी का समय पर और सही सर्वे नहीं हुआ। इस कारण मुआवजे के प्रकरण विलंब से और कम राशि के बने।
 
आपने कहा है कि आम किसान सरकार द्वारा बरती जा रही इस असंवेदनषीलता से त्रस्त हैं। किसानों की शिकायत है कि उनको जितने मुआवजे की अपेक्षा है, उससे काफी कम मुआवजा मिल रहा है। कम मुआवजे को पाने के लिए भी किसानों को राजस्व विभाग के दफ्तरों और बैंकों अथवा साख सहकारी समितियों के चक्कर लगाना पड़ रहे हैं। पाला-ओला प्रभावित किसान अपने परिवार के जीविकोपार्जन के लिए वैकल्पिक काम-धंधे को देखें या इस तरह के चक्कर लगाएं, यह बड़ा प्रष्न प्रदेष भर में ऐसे पीडि़त किसानों के साथ मुंह बाये खड़ा है। खेद की बात है कि संकट की घड़ी में मुसीबतजदा किसान इन दिनों स्वयं को अकेला और असहाय खड़ा पा रहा है।




HINDUSTAN VICHAR


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