अजीबो गरीब सच
अगर इस ब्रमांड, पृथ्वी और दुनिया के बारे में ना सोचकर अगर हम र्सिफ हमारें अपनें देश भारत कें बारे में ही कुछ देर के लिए सोचे और बात करें तो अधिकतर लोगो का कहना होता हैं कि भारत एक अनेक विभिन्नताओ वाला देश हैं और काफी लोगो का तो यह भी सोचना हैं कि भारत में इतनी विभिन्नताओ के बाबजूद भी एकता हैं पर इन लोगो की इस सोच पर मुझे थोड़ा सा सन्देह हैं क्योंकि मैने तो भारत की कुछ और ही तस्वीर अपने मन में बसा रखी हैं, इस तस्वीर में मुझे तो किसी भी प्रकार की एकता या अखंडता दिखाई नही देती हैं, भाईयो भारत तो वो देष हैं जहाँ एक क्विटंल गेहूँ का बोरा जो खरीद सकता हैं वो उसे स्वंय उठा नही सकता और जो इस बोरे को उठा सकता हैं वो उसे खरीद नही सकता। भाईयो आज भारत कि एैसी हालत क्यों हैं ? इसका जवाब हैं आज के दौर के राजनेता, जो अपनी घिनौनी राजनीति की चाले चलते रहते हैं और यही मौका दुढ़ते रहते हैं कि विपक्ष के नेता की टाँग कैसे और किस मुददे पर खीचे, जिससे उसकी छवि जनता के बीच बिगड़ जाये और जनता के हित का काम जो वो नेता कर रहा हो वो रुक जाये और उसके काम न होने से जनता का हित न हो और नेता को जनता का समर्थन न म