सरकार खुलासा करे - कांतिलाल भूरिया


सरकार खुलासा करे कि क्या घोषणाओं के चक्रव्यूह में

फंसे मुख्य मंत्री मनोरोगों से ग्रस्त हैं ?: भूरिया 

   
भोपाल । मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया
ने कहा है कि मध्यप्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराजसिंह चैहान अपने करीब सात वर्ष के कार्यकाल में घोषणाओं के चक्रव्यूह में इस कदर फंस चुके हैं कि अनुभवी बड़े मनोचिकित्सक के अनुसार दो-तीन मनोरोगों ने उनको बुरी तरह घेर लिया है। जो घोषणाएं कल तक उनको आनंद एवं भरपूर वाहवाही दे रही थीं वे ही अब उनको ‘‘घोषणावीर’’ साबित कर उनके लिए गले की फांस बनती जा रही हैं। कल भोपाल में संपन्न भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक पर भी मुख्य मंत्री की घोषणाओं से उत्पन्न निराशा छायी रही। भाजपा के बड़े नेता भी दबी जुबान कहने लगे है कि मुख्य मंत्री की यह घोषणावीरता अगले विधान सभा चुनाव में पार्टी को बहुत महंगी पडे़गी, क्योंकि मुख्य मंत्री ने सात वर्षों में जितनी घोषणाएं की हैं, उनमें से करीब आधी से अधिक अभी भी क्रियान्वयन का रास्ता देख रही हैं। वित्त विशेषज्ञों का कहना है कि मुख्य मंत्री की घोषणाओं को पूरा करने के लिए अतिरिक्त 12000 करोड़ रूपये की जरूरत है। वित्त मंत्री ने तो यहां तक कह दिया है कि यदि भाजपा पुनः सत्ता में लौट आए तो भी मुख्य मंत्री की घोषणाओं को अमलीजामा पहनाने में पूरे पांच साल लग जाएंगे। दरअसल विभिन्न प्रकार की पंचायतों में की जाने वाली घोषणाओं के अलावा मुख्य मंत्री औसतन तीन घोषणाएं रोज कर रहे हैं।
कांतिलाल भूरिया ने कहा है कि शिवराजसिंह ने सात साल में 7,334 घोषणाएं की हैं। इनमें से 3,513 अर्थात आधे से अधिक घोषणाएं अभी तक कागजों में ही फंसी पड़ी हैं। 1000 के करीब घोषणाएं तो ऐसी हैं, जिन पर अमल की कार्यवाही अभी आगे नहीं बढ़ी है। इनमें पंचायत एवं ग्रामीण विकास की 485, जल संसाधन की 426 और राजस्व की 231 घोषणाएं शामिल हैं। 2008 के विधान सभा चुनाव के समय भाजपा के जन संकल्प पत्र में किसानों से संबंधित जो 62 बड़ी घोषणाएं की गई थीं, उनमें से केवल एक ही पूरी हुई है और शेष अधर में लटकी हुई हैं। आपने कहा है कि शिवराजसिंह अत्यधिक आत्ममुग्ध और सपनों के सौदागर हो गए हैं। इसी के साथ-साथ लोगांे को ठीक से न पहचानने और अनजान लोगों के साथ पुरानी पहचान होने का ढ़ांेग करने की आदत से ग्रसित हो गये हैं। एक बड़े मनोचिकित्सक के अुनसार मुख्य मंत्री को मिनिमल कांगनेटिव इम्पेरमेंट नाम का मनोरोग हो गया है। उसके लिए उन्हें साइकोजेनिक एमनेशिया का टेस्ट कराना चाहिए। वे दंभ और भय से पैदा हुई खुशी के कारण मिक्स अफेक्टिव स्टेट या एक्टिसिवमेनिया की एक बहुत बड़ी बीमारी की चपेट में भी आ गए हैं। मनोचिकित्सक का कहना है कि कुर्सी मोह से ग्रसित व्यक्ति कुर्सी जाने के भय और उसकी कुर्सी को कोई छीन नहीं सकता इस दंभ में भी आत्ममुग्ध होता है।
 
पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया ने कहा है कि मुख्य मंत्री को अपने संकल्पों और वादों को भूल जाने की बीमारी से ग्रसित होने की भी पुष्टि हो चुकी है। उन्हांेने राजनीति में प्रवेश करते समय नर्मदा में गले-गले तक डूब कर सार्वजनिक रूप से घोषणा की थी कि वे अपने विधान सभा क्षेत्र की सेवा के लिए आजीवन अविवाहित रहेंगे, लेकिन विधायक बनने के बाद वे इस घोषणा को भूल गए। अब तो हालात ये हैं कि वे रोज लोक लुभावन घोषणाएं करते हैं और अधिकतर को भूल जाते हैं। नतीजन इन घोषणाओं को पूरा होने की आस लगाये लोगों के हाथ केवल निराशा ही लगती है। शिवराजसिंह ने प्रदेश में बढ़-चढ़कर उद्योग स्थापित करने के लिए करोड़ों खर्च कर इन्वेस्टर्स मीट के कई आयोजन किये। दूसरी तरफ उन्होंने पिछले दिनों भोपाल में किसानों को सलाह दे डाली कि उद्योग-धंधे मत लगाओ, खेती करो। उद्योग लगाओगे तो पैसा आयकर वाले ले जाएंगे, खेती करोगे तो पैसा आपके पास रहेगा। उनकी बातों की ये विसंगतियां साबित करती हैं कि वे आगे पाठ पीछे सपाट में विश्वास करते हैं। आज कही बात पर कल कायम रहेंगे ही, इसकी कोई गारंटी नहीं है। मुख्य मंत्री के इसी भुलक्कड़पन के कारण भाजपा के संकल्प पत्रों में शामिल घोषणाओं के साथ-साथ उनकी खुद की कई महत्वपूर्ण बड़ी-बड़ी घोषणाएं दम तोड़ चुकी हंै। इनमें 50 हजार तक के कर्ज की माफी और सौ दिन में हर घर में 24 घंटे बिजली की घोषणाएं भी शामिल हैं।
 
भूरिया ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि शिवराजसिंह चैहान वर्तमान में प्रदेश के मुखिया हैं। अतः वे इन दिनों जिन दो मनोरोगों से गंभीर रूप से ग्रसित हैं, उनकी अनुभवी मनोरोग विशेषज्ञों से तत्काल जांच कराएं और प्रदेश की जनता को बताए कि इन बीमारियों से मुख्य मंत्री को मुक्ति दिलाने के लिए सरकार के स्तर पर क्या-क्या प्रयास किये जा रहे हैं। आपने कहा है कि राज्य सरकार द्वारा ऐसा किया जाना प्रदेश के व्यापक हित में आवश्यक ही नहीं, अपरिहार्य भी है। 
 
 
 




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