कांतिलाल भूरिया (कांग्रेस) - नसरूल्लागंज में रेत के अवैध उत्खनन के ‘‘पाप’’ को छिपाने के लिए लीपापोती कर रही सरकार








नसरूल्लागंज में रेत के अवैध उत्खनन के ‘‘पाप’’ को छिपाने के लिए लीपापोती कर रही सरकार: भूरिया





 
मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया ने आज जारी बयान में आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान के विधान सभा क्षेत्र बुधनी के नसरूल्लागंज में 14 जुलाई, रविवार को आयोजित कांग्रेस की जन संग्राम रैली से घबराकर मुख्य मंत्री के इशारे पर सरकार ने नसरूल्लागंज में बड़े पैमाने पर हुए रेत के अवैध उत्खनन के ‘‘पाप’’ को छिपाने के लिए पिछले 10-15 दिनों में वहां युद्ध स्तर पर अवैध उत्खनन के सभी सबूतों को मिटाने की मुहिम चला रखी है। इसमें राज्य सरकार के कई विभागों का अमला और उनके वाहन आदि लगे हुए हैं। 25 जून को जब कांग्रेस ने नसरूल्लागंज की रेत खदानों पर चल रहे अवैध उत्खनन की गतिविधियों पर आकस्मिक छापा डाला था तब नसरूल्लागंज क्षेत्र की आम्माजदीद, बड़गांव और सातदेव रेत खदानों में अवैध रूप से निकाली गई रेत के कई पहाड़ मौजूदबथे और कई फाकलैण्ड मशीनें रेत निकालने में लगी हुई थीं और सैकड़ों ट्रक भी वहां रेत से भरे या खाली मौजूद थे। आपने कहा है कि अब इन रेत के ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों को समाप्त कर 40-50 हजार ट्रक रेत वहां से रफा-दफा कर दी गई है। इस तथ्य की जांच होना चाहिए कि इतनी बड़ी मात्रा में खदानों से हटाई गई करोड़ों की रेत कहा गई ?
 

भूरिया ने कहा है कि इस ‘‘पाप छिपाओ आपरेशन’’ के जरिये सरकार यह बताना चाहती है कि मुख्यमंत्री के विधान सभा क्षेत्र में रेत के अवैध उत्खनन के आरोप सही नहीं है। नसरूल्लागंज का अवैध उत्खनन, जो कि अब अपनी व्यापकता और गंभीरता के कारण कर्नाटक के बेल्लारी कांड की शक्ल ले चुका है, उसकी गंभीरता को राज्य सरकार इस तरह समाप्त करने का कुचक्र कर रही है। लेकिन वह विश्वास रखे कि किसी भी ‘‘पाप’’ को इस तरह के कुचक्रों से भाजपा की सरकार दबा नहीं पाएगी। पूर्व वित्त मंत्री राघवजी सांवला की पापलीला जिस तरह सार्वजनिक हुई है, उसी तरह मुख्य मंत्री की लाख कोशिशो के बाद भी अवैध उत्खनन का ‘‘पाप’’ भी सिर चढ़कर बोलेगा और उसका दंड भी मुख्य मंत्री और उनकी सरकार को विधान सभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा।
 

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा है कि 25 जून को नसरूल्लागंज में कांग्रेस के छापे के दौरान जो कुछ घटा, उससे भी प्रमाणित है कि मुख्य मंत्री के विशेष संरक्षण में बुधनी विधान सभा क्षेत्र में वर्षों से अवैध रेत उत्खनन चल रहा था, जिससे पवित्र नर्मदा के नैसर्गिक स्वरूप को भी खतरा पैदा हो गया है। इस कारण नदी कभी भी अपने बहाव की दिशा बदल सकती है। तब आस पास के क्षेत्रों को कितनी बड़ी त्रासदी से गुजरना पड़ेगा कहा नहीं जा सकता।
 

आपने कहा है कि पहाड़ों के रूप में कुछ दिन पूर्व पड़ी रेत को रफा-दफा करने और अवैध दोहन के भौतिक साक्ष्यों को मिटाने के लिए सरकार कितनी ही कोशिश क्यों न कर ले, अवैध उत्खनन को संरक्षण देने के अपराध से वह बच नहीं पायेगी। यदि नसरूल्लागंज क्षेत्र की रेत खदानो में अवैध उत्खनन नहीं चल रहा था, तो सरकार जवाब दे कि 25 जून को कांग्रेस के छापे के बाद सरकार ने आम्बाजदीद, बड़गांव और सातदेव खदान को सील क्यों किया है ? इस सरकारी कार्यवाही से पुष्टि होती है कि खदानों को सील करने के पूर्व वहां अवैध उत्खनन चल रहा था।














 

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