बंशीलाल गुर्जर (बीजेपी)- कांतिलाल भूरिया साबित करें कि वे किसान हितैषी हैं







कांतिलाल भूरिया साबित करें कि वे किसान हितैषी हैं - बंशीलाल गुर्जर

 


मध्यप्रदेश के भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीलाल गुर्जर ने कांग्रेस प्रदे
अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया से सवाल किया है कि वे साबित करें कि कांग्रेसनीत यूपीए सरकार किसान विरोधी नहीं है। कांग्रेस किसान हितैषी होने की बात करती है तो कांग्रेसनीत यूपीए सरकार लगातार किसान विरोधी निर्णय क्यों ले रही है ?
 
बंशीलाल गुर्जर ने कांतिलाल भूरिया से पूछा है कि यूपीए सरकार ने किसानों के हित में लाये जाने वाले भू-अधिग्रहण बिल को संसद में क्यों पारित नहीं होने दिया? केन्द्र सरकार द्वारा रासायनिक खादों के दामों में तीन गुना की वृद्धि क्यों की गई? यूपीए सरकार किसानों को 7 प्रतिषत ब्याज दर पर ऋण देकर क्यों किसानों की कमर तोड़ रही है? कांग्रेस सरकार द्वारा गेहूं का समर्थन मूल्य 1600 रूपये क्यों नहीं किया जा रहा है?
 
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदे सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चैहान खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए अनवरत प्रयास कर रहे हैं। भारत सरकार द्वारा प्रदे सरकार को कृषि कर्मण अवार्ड दिया जाना और प्रदे की कृषि विकास दर 18 प्रतिषत पर पहुंचना किसान हितैषी सरकार की ओर इंगित करता है। किसानों को जीरो प्रतिषत ब्याज पर ऋण उपलब्ध करना, प्रदे में अलग से कृषि कैबिनेट, 1500 रू. प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीद्दारी जैसे अनेक निर्णय हैं जिससे किसानों को राहत मिली है। कांतिलाल भूरिया प्रदे में भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा किसानों के हित में लिये गये क्रांतिकारी निर्णयों से तिलमिला गये हैं, जिससे वह अनर्गल बयानबाजी कर जनता को गुमराह करने लगे है।
 
गुर्जर ने कहा कि 117 साल पुराने भूमि अधिग्रहण कानून को संशोधित किये जाने की मांग के प्रति केन्द्र सरकार तनिक भी संवेदनषील होती तो न तो भूमि अधिग्रहण विधेयक की इतनी उपेक्षा की जाती और न केन्द्रीय ग्रामीण मंत्रालय द्वारा बनाये गये प्रारूप को इस तरह संवेदन शून्य बना दिया जाता। सवाल यह पूछा जा रहा है कि आखिर भूमि अधिग्रहण विधेयक किसके लिये है? 150 संशोधनों के बाद न तो विस्थापित किसान के पुनर्वास की गारन्टी है और न मुआवजा दिये जाने का भरोसा व्यक्त होता।
 
उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण विधेयक में किसान को स्वामित्व से वे दखल कर मजदूर की तरह छोड़ा जा रहा है। अधिग्रहित भूमि उद्योग के लिये पट्टा पर दिये जाने का प्रावधान किया जाये, लेकिन किसान का हक जमीन पर बराबर रखा जाये जिससे अंत तक किसान लाभ में भी भागीदार रह सके। खेती की उपजाऊ जमीन उद्योगों को सौंपकर समावेशी विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है।
 
बंशीलाल गुर्जर ने कहा कि कांग्रेस भूमि अधिग्रहण के नाम पर कितनी संकीर्ण राजनीति करती है यह साबित हो गया है। भट्टापरसौल पहुंचकर राहुल गांधी ने अपने को किसानो का मसीहा साबित करने की कोशीश की। लेकिन जब संसद में उद्योग घरानों का दबाव आया तो घुटने टेककर भूमि अधिग्रहण विधेयक में 150 संशोधन हो जाने दिये। नये मसौदे में पुराने प्रावधान करके किसानों के साथ विश्वासघात किया जा रहा है। ऐसे में भूमिअधिग्रहण के मामले में भट्टापरसौल और सिगूरनंदी ग्राम की पुनावृत्ति होने से रोका नहीं जा सकेगा। दे का किसान ऐसा लूला-लंगड़ा अधिग्रहण कानून बर्दाश्त नहीं करेगा।










 

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