गायत्री परिवार हरिद्वार - Gaytri Pariwar (Haridwar)




गायत्री परिवार हरिद्वार



हरिद्वार : ३ फरवरी। विश्व प्रसिद्ध धर्म नगरी हरिद्वार इन दिनों वासन्ती रंग में रंगी हुई है। एक तरफ जहाँ मेलों को दौर है, वहीं दूसरी ओर धार्मिक मेले अपने चरम पर हैं। विभिन्न स्कूल कॉलेज एवं धार्मिक संस्थानों में सांस्कृतिक आयोजनों की धूम है। ऐसे में अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख केन्द्र शांतिकुंज ने इस पर्व को समूह साधना बोध पर्व के रूप में मनाने का अनूठा प्रयोग किया। हरिद्वार में होकर बह रही निर्मल पावन गंगा के तट पर बैठकर हजारों साधकों ने समूह साधना की। 



    इस अवसर पर गायत्री परिवार प्रमुख शैल जीजी ने साधकों को गंगा तट पर समूह साधना का माहात्म्य समझाया। उन्होंने कहा कि समूह साधना के बिना देवत्व का जागरण सम्भव नहीं। जब भी विभीषिका का दौर आया है, तब देवत्व एकत्रित होकर समूह साधना की है और असुरत्व को हराकर शान्ति स्थापित करने में सफलता पायी है। आज जहाँ एक तरफ गंगा की निर्मल धारा बह रही है, वहीं दूसरी ओर देवत्व के जागरण के लिए हम सब समूूह साधना का संकल्प लेते हैं। शैल जीजी ने कहा कि ध्यान से ही अमृतवर्षा प्राप्त होती है। 

    इस अवसर पर देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या जी ने साधना के फल के बारे में प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि साधना और स्वाध्याय के बिना प्रगति सम्भव नहीं। उन्होंने गायत्री परिवार के साधकों एवं दंवसंस्कृति विश्वविद्यालय के छात्रों को समूह साधना की प्रेरणा देते हुए कहा-हिमालय की छाया, सप्तऋषियों की तपस्थली और पावन गंगातट पर रहकर आप सभी साधना की ओर अग्रसर हो रहे हैं, यह सौभाग्य की बात है। उल्लेखनीय है कि २०१४ को अखिलविश्व गायत्री परिवार ने समूह साधना वर्ष के रूप में मनाने का संकल्प लिया है। इसी के अन्तर्गत विभिन्न स्थानों पर समूह साधनाएँ करवायी जा रही हैं।












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