संघ शिक्षा वर्ग

एक तपस्या है संघ शिक्षा वर्ग 


ग्रीष्म की छूट्टियों में जब कि सामान्यतः लोग किसी पहाड़ पठार या ठंडे स्थान पर जाकर आराम करना पसंद करते हैं। तब देश का एक बड़ा वर्ग अपनी स्वरुचि से संघ के अभ्यास वर्गों में जाकर कड़ा श्रम करता है और अपना स्वेद बहाता है किसी गुरुकूल के विद्यार्थी की भांतिए यहां व्यक्ति व्यक्तित्व विकास व राष्ट्र चिंतन हेतु कष्टप्रद परिस्थितियों में रहता है आचार्य चाणक्य ने अपनें राजनीति शास्त्र में कहा था कि किसी भी देश में शांति काल में जितना स्वेद बहेगाए उस देश मेंए युद्ध काल में उससे दूना रक्त बहनें से बचेगा, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के इन संघ शिक्षा वर्गों में आये शिक्षार्थी, आचार्य चाणक्य की कल्पना पर ही देश के शांति काल में कल्पना योजना निर्माण रचना पर अथक परिश्रम करते हुए सतत कर्मशील रहनें का व अपना स्वेद बहानें का संकल्पित प्रशिक्षण लेतें हैं आश्चर्य चकित कर देनें वाला तथ्य है कि प्रतिवर्ष चरम गर्मी के दिनों में देश भर के 61 स्थानों पर आयोजित होनें वालेए इन शिक्षा वर्गों में संघ के 15000 से अधिक स्वयंसेवक प्रशिक्षण लेतें हैं ये प्रशिक्षण उनके रोजी. रोजगार आजीविका व्यावसायिक अथवा कार्यालयीन कार्यकुशलता में वृद्धि के लिए सुविधाजनक होटलों में या रिसार्ट्स में आयोजित नहीं होते हैं! ये शिक्षा वर्ग बिना किसी भौतिक या व्यक्तिगत लाभ की दृष्टि से कष्टसाध्य वातावरण में किसी सामान्य से विद्यालय के कक्षों व प्रांगणों में आयोजित होतें हैं सात दिनों से पच्चीस दिनों तक के इन वर्गों के पाठ्यक्रम में मोटेतौर पर प्रतिदिन 250 मिनिट के बौद्धिक विकास कार्यक्रम तथा 200 मिनिट के शारीरिक विकास के कार्यक्रम रखें जाते हैं तथा बाकी समय में व्यक्ति को ऐसा परिवेश मिलता है कि व्यक्ति राष्ट्र आराधना में तल्लीन हो जाता है यहां यह स्मरण अवश्य कर लेना चाहिए कि भले ही संघ के ये शिक्षा वर्ग रोजगार व्यावसायिक या कार्यालयीन कार्यकुशलता में वृद्धि की दृष्टि से आयोजित नहीं किये जातें हो किन्तु इन वर्गों सेए बालक तथा किशोर वय की आयु से लेकर वृद्धों तक को प्रत्येक क्षेत्र में अधिक निपुण प्रवीण तथा पारंगत बना देता हैं इन वर्गों का पाठ्यक्रम राष्ट्रवाद के परिप्रेक्ष्य में व्यक्ति की शारीरिक क्षमता व बौद्धिक क्षमता दोनों के तीव्र विकास के लक्ष्य से तय होता है इन वर्गों से विधिवत प्राथमिक प्रथम वर्ष द्वितीय तथा तृतीय की मानद उपाधि लेनें के पश्चात ही प्रशिक्षित कार्यकर्ता संघ के कार्यों को संभाल पाता है यही कारण है कि इस देश के ही नहीं अपितु विश्व के सर्वाधिक अनूठे विशाल अनुशासितए लक्ष्य समर्पित तथा राष्ट्र प्रेमी संगठन के रूप में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पहचान होती है संघ के विषय में यह तथ्य भी बड़ा ही सटीक सत्य तथा सुस्थापित है कि संघ का कार्य संसाधनों से अधिक भावना तथा विचार आधारित होता है यदि आपका संघ के कार्यकर्ताओं से मिलना जुलना होता है तो एक शब्द आपको बहुधा ही सुननें को मिल जाएगा वह शब्द है संघदृष्टि यह संघदृष्टि बड़ा ही व्यापक अर्थों वाला शब्द है संघदृष्टि को विकसित करनें का ही कार्य शिक्षा वर्ग में होता है जीवन की छोटी - छोटी बातों से लेकर विश्व भर के विषयों में व्यक्ति किस प्रकार समग्र चिंतन के साथ आगे बढ़े इसका प्रशिक्षण इन वर्गों में दिया जाता है वसुधैव कुटुम्बकम सर्वे भवन्तु सुखिनः धर्मो रक्षति रक्षितः इदं न मम इदं राष्ट्रं जैसे अति व्यापक अर्थों वाले पाठ व्यक्ति के मानस में सहज स्थापित हो जायें यही लक्ष्य होता है ये वर्ग व्यक्ति में केवल भाव परिवर्तन या भाव विकास में सहयोगी होतें हैं और संभवतः यही व्यक्तित्व विकास का सर्वाधिक सफल मार्ग भी है! आर एस एस के प्रचलित नाम से पहचाना जानें वाला यह संगठन अपनी किसी नवीन तकनीक या नवाचार के आधार कारण से नहीं अपितु अपनें परम्परागतए रूढ़िगत व प्राचीन भारत के संस्कारों आदर्शों स्थापनाओं के आधार पर ही इस पड़ाव तक पहुँच पाया है
           राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थारपना 27 सितंबर 1925 की विजय दशमी कोए नागपुर के मोहिते के बाड़े में डॉक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार की थी संघ के 5 स्वयं सेवको के साथ प्रारंभित संघ की प्रथम शाखा आज 50 हजार से अधिक शाखाओ मेंए तथा 5 स्व़यंसेवक करोड़ो स्वीयंसेवको में विस्तारित हो गए हैं संघ की विचार धारा में राष्ट्रवाद हिंदुत्व हिंदू राष्ट्र राम जन्मभूमि अखंड भारत भारत माता का परम वैभव धारा 370 ए समान नागरिक संहिता जैसे विषय समाहित हैं संघ के सैकड़ों प्रकल्प हैं जो देश के विभिन्नए सुदूर पहुंचविहीन गाँवों तक में अपनी उपलब्धियों से जन - जन को आलोकित कर रहें हैं संघ के देश भर में चल रहे एक लाख प्रकल्पो ने देश को नई गति दी है उदाहरणार्थ दीन दयाल शोध संस्थान ने गांवों को स्वावलंबी बनाने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई है दीन दयाल शोध संस्थान के इस प्रकल्प में संघ के हजारों स्वयं सेवक अवैतनिक रूप से इस लगे है सम्पूकर्ण राष्ट्रो में संघ के विभिन्नक अनुषांगिक संगठनो जैसे राष्ट्रीय सेविका समिति विश्व हिंदू परिषद भारतीय जनता पार्टी बजरंग दल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद राष्ट्रीय सिख संगत भारतीय मजदूर संघ हिंदू स्वयंसेवक संघ हिन्दू विद्यार्थी परिषद स्वदेशी जागरण मंच दुर्गा वाहिनी सेवा भारती भारतीय किसान संघ बालगोकुलम विद्या भारती भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम आदि संगठन कार्यरत है जो करीब 1 लाख प्रकल्पो  को चला रहे है  

        राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने 2012 में अपनी अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में कार्य विस्तार हेतु लक्ष्य निर्धारित किये थे इन तीन वर्षों के सतत प्रयासों का परिणाम है कि 2012 की तुलना में वर्तमान में 5161 स्थान और 10413 शाखाओं की वृद्धि हुई है आज संघ की 33222 स्थानों पर 51330 शाखाएँ 12847 साप्ताहिक मिलन और 9008 संघ मण्डली सक्रिय है इसमें तरुण विद्यार्थिओं की 6077 शाखाएँ है कुल मिलाकर 55 010 स्थानों तक संघ का कार्य प्रत्यक्षतः पहुँच चूका है

            इस प्रकार के पवित्र किन्तु दुष्कर तथा कष्टसाध्य कार्य को साधना इन प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं के बूते ही संभव होता है गत वर्ष के संघ शिक्षा वर्गों में प्रथम वर्ष सामान्य एवं विशेष के 59 वर्गों में 9609 स्थानों से 15332 शिक्षार्थी द्वितीय वर्ष सामान्य एवं विशेष के 16 वर्गों में 2902 स्थानों से 3531 शिक्षार्थी सम्मिलित हुए थे तृतीय वर्ष के वर्ग में 657 स्थानों से 709 कार्यकर्ता रहे थे इसके अतिरिक्त गत वर्ष संपन्न प्राथमिक वर्गों में भी 23812 शाखाओं से 80409 कार्यकर्ता सहभागी हुए थे

संघ के इन शिक्षा वर्गों के क्रम व आकार को हम निम्नानुसार समझ सकतें हैं। 

दीपावली वर्ग दृ दीवाली पर्व के आसपास आयोजित होनें वाला यह वर्ग तहसील या नगर स्तर पर वर्ग तीन दिन का होता है

शीत शिविर दृ प्रतिवर्ष दिसम्बर में आयोजित यह वर्ग तीन दिनों का होता है जो जिला या संभाग स्तर पर आयोजित होता है

निवासी वर्ग दृ प्रत्येक माह होनें वाला यह वर्ग शाम से सुबह तक होता है शाखा नगर या तहसील स्तर पर किया जाता है

बौद्धिक वर्ग - ये वर्ग हर महीने दो महीने या तीन महीने में होता है ये वर्ग सामान्यतरू नगर या तहसील स्तर पर आयोजित होतें हैं

शारीरिक वर्ग - ये वर्ग हर महीने दो महीने या तीन महीने में एक बार होता है ये वर्ग भी सामान्यतरू नगर या तहसील स्तर आयोजित होते हैं

संघ शिक्षा वर्ग - प्राथमिक वर्गए प्रथम वर्ष द्वितीय वर्ष और तृतीय वर्ष . कुल चार प्रकार के संघ शिक्षा वर्ग होते हैं प्राथमिक वर्ग एक सप्ताह का होता हैए प्रथम और द्वितीय वर्ग 20 - 20 दिन के होते हैं जबकि तृतीय वर्ग 25 दिनों का होता है प्राथमिक वर्ग का आयोजन सामान्यतः जिला करता है प्रथम संघ शिक्षा वर्ग का आयोजन सामान्यत प्रान्त करता है द्वितीय संघ शिक्षा वर्ग का आयोजन सामान्यत क्षेत्र करता है तृतीय संघ शिक्षा वर्ग अनिवार्यतः प्रत्येक वर्ष नागपुर में ही होता है


लेखक प्रवीन जी 























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