क्या यही हैं हमारा लोकतंत्र ?

 

पिछले सप्ताह मिडिया में तीन घटनाएँ बड़ी प्रमुखता से छाई रही हैं। यह घटनाएँ भारत के तीन अलग अलग प्रदेशो से हैं मगर उनमें एक बात विशेष गौर करने योग्य हैं कि वह सत्तासीन लोगो द्वारा सत्ता के दुरुपयोग से संबधित हैं।

मध्यप्रदेश  में एक विभाग की महिला अधिकारी द्वारा अपनें वरिष्ट अधिकारी पर यौन शोषण का आरोप लगाया गया, जबकि उक्त अधिकारी द्वारा यह आरोप गलत बताया गया, सत्यता तो जाँच करने पर ही सामने आ सकती हैं जो शायद ही कभी हो, क्योंकि यह अधिकारी राजनैतिक पहुँच रखते हैं और वह शिक्षा से संबधित विभाग में लंबी सेवा दे चुका हैं मगर उसकी आंकक्षा भारतीय प्रशासनिक सेवा में विभागीय कोटे से आने की हैं। यह अधिकारी राजनैतिक परिवारों से संबध रखता हैं और अपनें संबधो का लाभ उठाकर समस्त नियमों को दरकिनार कर ताक पर रखकर खेल विभाग में आ गया हैं और यह भी तय हैं कि वह इन संबधो का राजनैतिक लाभ उठाकर वह अपनें ऊपर लगे आरोपो की निष्पक्ष जाँच कभी नही होनें देगा।

इसी प्रकार झारखंड के विधायक राज्य सभा के चुनाव मे अपने वोट करोड़ो में बेचते हुए कैमरे पर दिखाई देते हैं। देश की आम जनता ने उनका चुनाव देश सेवा के लिए किया हैं, उनसे निष्पक्षता से कार्य करते हुए देश की तरक्की की उम्मीद आम जन को हैं,   मगर यह बिकाऊ विधायक वास्तव में क्या कर रहें हैं यह सपष्ट हो गया हैं।

कामनवैल्थ गेम भारत जैसे गरिब देश के लिए विलासता के सिवाय कुछ नही हैं,  मगर विकसित देशो की श्रेणी में खड़े होने मे हमारी जनता ने इन खेलो के भारत मे आयोजित होनें का स्वागत किया हैं, इन खेलो पर करोड़ो रुपये खर्च हो रहे हैं, अब यह हमारी नाक का सवाल भी बन गया हैं,  इन खेलो की आयोजन समिति के अध्यक्ष एक राजनैतिक व्यक्ति हैं और आजकल अखबार उनकें कारनामों मे भरे हैं और यह अंदेशा हैं कि खेलो के आयोजन में जमकर भष्ट्राचार हुआ हैं और इस कारण देश का सम्मान भी खतरे में हैं।

इन तीनो घटनाओ में राजनैतिज्ञो के गिरते चरित्र और भष्ट्राचार की बदबू आ रही हैं,   यह वही लोग हैं जो आम आदमी को रोज ईमानदारी और कड़ी मेहनत की सीख देते रहते हैं और खुद आम जनता की खून पसीने की कमाई से गुलछरे उड़ाते हैं यही हमारे लोकतंत्र की कमजोरी हैं कि उनमें एैसे लोगो को राजनिति से बाहर रखने की क्षमता नही हैं, यही कमी इसे दुनिया के विकसित देशो की कतार में खड़ा होने से रोक रही हैं। अगर हमारे देश को एशिया और दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्था बनना हैं तो न केवल हमें सतर्क रहेना होगा ब्लकि ऐसे लोगो से छुटकारा पाने की कानूनी व्यवस्था भी करनी होगी।

अगर हमारा लोकतंत्र ऐसी व्यवस्था करने मे असफल रहता हैं तो भगवान ही इसे बचा सकता हैं।   अजय धीर स्वतंत्र पत्रकार

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