हरिद्वार (शांतिकुंज) - ब्रिस्बेन में सम्पन्न हुआ अश्वमेध गायत्री महायज्ञए युवाओं की रही विशेष भागीदारी





ब्रिस्बेन में सम्पन्न हुआ अश्वमेध गायत्री महायज्ञए युवाओं की रही विशेष भागीदारी



हरिद्वार 22 अप्रैल। हरिद्वार स्थित शांतिकुंज के तत्त्वावधान में ब्रिस्बेन आस्ट्रेलिया में अश्वमेध गायत्री महायज्ञ का सफल आयोजन हुआ। गायत्री परिवार द्रारा आस्ट्रेलिया मै यह दुसरा आयोजन था। संस्था की अधिष्ठात्री शैलदीदी एवं देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ प्रणव पण्ड्या के नेतृत्व में गई यज्ञ संसद की टोली आज स्वदेश लौट आई। आस्ट्रेलिया लौटने के बाद कुलाधिपति डॉ पण्ड्या ने बताया कि आस्ट्रेलिया में बसे प्रवासी भारतीय एवं फिजी मूल के लोगों में भारतीय संस्कृति के प्रति अद्भुत झुकाव है। वे भारतीय संस्कारोंए संस्कृति एवं परंपरा को संरक्षित करने हेतु कृत संकल्पित हैं। ब्रिस्बेन अश्वमेध गायत्री महायज्ञ की अपार सफलता इसका प्रमाण है। इस महायज्ञ की ऊर्जा से आस्ट्रेलिया महाद्वीप ;आस्ट्रेलियाए न्यूजीलैण्डए फिजीद्ध में गायत्री परिवार के विस्तार को और बल मिलेगा। कई बड़े शहरों में नई शाखाएं खुलेंगी। साथ ही डॉ पण्ड्या ने 18 से 20 अप्रैल को सम्पन्न हुए आस्ट्रेलिया के पूर्वोत्तर में बसे ब्रिस्बेन के माउण्ट ग्रेवेट शो ग्राउण्ड में 251 कुण्डीय अश्वमेध गायत्री महायज्ञ की भव्य सफलता के समाचार बताया। इस महायज्ञ में अमेरिकाए कनाडाए न्यूजीलैंडए फीजीए सिंगापुरए इंग्लैण्डए मलेशिया सहित दर्जन भर के देशों का प्रतिनिधित्व था।


                शांतिकुंज की अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैल जीजी ने अश्वमेध गायत्री महायज्ञ शृंखला के ब्क्वें तथा विदेश की धरती के क्क्वें इस महायज्ञ की सफलता पर भाव व्यक्त करते हुए बताया कि अब समय बदल गया है। विश्व अब एक छोटा परिवार जैसा बन गया है। सूचनाओं के आदान.प्रदान से देश.विदेश के युवाओं में मुझे अद्भुत ऊर्जा एवं भारत प्रेम दिखाई पड़ता है। सभी जगहों में एक साथ पर्यावरण संरक्षणए नौनिहालों में सुसंस्कार के बीज बोने एवं भारतीय संस्कृति के प्रति विशेष झुकाव युवाओं में दिखाई पड़ा रहा है। यह विश्वव्यापी शुभ परिवर्तन का संकेत है।


                शांतिकुंज स्थित विदेश विभाग के अनुसार ब्रिस्बेन के अश्वमेध गायत्री महायज्ञ में भारतीय संस्कृति का दिग्दर्शन करता हुआ विशिष्ट प्रदर्शनीए 51 सौ वेदीय दीप महायज्ञए भव्य कलश यात्राए सात देशों एवं उनके प्रतिनिधियों द्वारा ध्वजारोहणए सेमीनारए सांस्कृतिक कार्यक्रमए योग प्रशिक्षण मुख्य आकर्षण का केन्द्र था। इन कार्यक्रमों में युवाओं ने भी जबरदस्त उत्साह के साथ भाग लिया। कई युवा ऐसे थेए जो पहली बार किसी आध्यात्मिक महायज्ञ में भागीदारी कर रहे थे। इन युवाओं में एक विशेष लगन एवं भारतीय संस्कृति के प्रति झुकाव स्पष्ट नजर आ रहा था। यह अप्रैल 2014 में शांतिकुञ्ज के मार्गदर्शन में संपन्न विशाल आयोजनों में से एक था। शांतिकुंज एवं देसंविवि के कई युवा आस्ट्रेलिया महाद्वीप में भारतीय संस्कृति के प्रचार में जुटे हैं। डॉ पण्ड्या के साथ उनके सहयोगी श्री सूरज प्रसाद शुक्लए राजकुमार वैष्णव एवं दल के अन्य सदस्य भी लौट आए।











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