इंटरव्यू - राजेश गुप्ता (डायरेक्टर एम.पी. टूरिजम प्रमोशन यूनिट)


पाठकों आज आप जिस व्यक्ति का इंटरव्यू पढ़ रहे है वो है श्री राजेश गुप्ता (डायरेक्टर एम.पी. टूरिजम प्रमोशन यूनिट) राजेश गुप्ता संपूर्ण प्रदेश के सरकारी अफसरो मे अपने आप मे एक मिसाल है। इन्होंने न केवल प्रदेश बल्कि देश मे यह साबित किया है कि अगर आप स्वयं अच्छे है तो आपको सब अच्छे ही मिलेंगे। तो आगे बढ़ते है और शूरु करते है प्रशन उत्तर और पाठको आपको रुबरु करवाते है आज के हमारे गेस्ट श्री राजेश गुप्ता से:-


प्र 1. सबसे पहले तो क्या आप अपने जीवन परिचय से अवगत करवायेगे ?

उत्तर 1. मेरे फादर आर.बी.आई अधिकारी रहे वो एम.पी. अेपैक्स बैंक मे जी.एम. रहे और मैं आज भी फादर के साथ ही रहता हूँ और पहले भी मध्यप्रदेश - छत्तीसगढ़ अनडीवाइडेड के 23 जिलो मे रहा, फिर जहाँ  फादर की पोस्टींग रही वही वही मेरी स्कूल की शिक्षा होती रही, हम लोग सागर काफी समय रहे मेरी फोर्थ क्लास से आठवी क्लास तक की शिक्षा  म.प्र के सागर जिले मे ही हुई, फिर नौवी और दसवी क्लास शिक्षा छिंदवाड़ा से पूरी हुई, ग्यारवी और बारवी क्लास की शिक्षा सतना से पूरी हुई, फिर मैने इंजिनियरिंग मध्यप्रदेश के ही रीवा जिले के रीवा इंजिनियरिंग कॉलेज से की, बचपन से ही मेरी इच्छा थी कि मैं भी सरकारी अफसर बन सकू। 1995 बैंच का मै एम.पी. का सिविल सरवेंट हूँ फिर मै कई जगह पर नायब तेहसीलदार रहा जैसे नायब तेहसीलदार गुना, नायब तेहसीलदार सतना, नायब तेहसीलदार अंबीकापुर, नायब तेहसीलदार विदिशा रहा, नायब तेहसीलदार भोपाल नायब तेहसीलदार रहा, ओ.एस.डी. टू कलेक्टर भोपाल रहा, स्टेट प्रोटोकोल ओफिसर रहा और उसी बीच मेरा सैलेक्षन हुआ एम.बी.ए. फायनेंस के लिए फिर मैने एम.बी.ए फायनेंस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ  फायनेनसीयल मेनैजमेंट फरीदाबाद से किया।
 

प्र 2. अब आप मध्यप्रदेश मे इतनी जगह पर रह चुके है तो आपको निजी तौर पर सबसे ज्यादा कौन सी जगह पसंद है और उसके  कारण ?

उत्तर 2. छिंदवाड़ा और अबिकापुर, यह दो जगह मुझे यहाँ के क्लाइमेटिक कनडीशन (मौसम) के कारण पंसद है।
प्र 3. आजकल सब जगहो पर जो भष्ट्राचार हटाओ की जो मुहीम चल रही है उस विषय मे हिन्दुस्तान विचार के पाठकों को क्या संदेश देना चाहेगे ?
उत्तर 3. मेरे हिसाब से व्यक्ति केवल आपने आप को सुधार सकता है दूसरे को नही और हर व्यक्ति को यही सोचना चाहिए की मैं खुद कोई गलत काम नही करु और आपने आप को सही रखू क्योंकि दूसरे को सुधारने का ठेका कोई नही ले सकता।
प्र 4. अगला सवाल ये है कि दूसरो देशो, प्रदे
शो, राज्यो की कोई ऐसी टूरिजम नीति जिसे आप मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग मे भी लागू करवाना चाहेगे ?
उत्तर 4. दरसल अभी हाल ही मे हमने टूरिजम पालिसी बनाने के लिए कई प्रदेशो की नीतियो का अध्यन किया और अध्यन के बाद मुझे लगा की नीतियाँ सभी जगहो की अच्छी है पर भी मेरे हिसाब से विशेष रुप से केरला और राजस्थान ने अपनी नीतियो मे बहुत सारी अच्छी चीजो का समावेश किया है और हमने भी यही कोशिश की है कि जहॅा से भी हमे अच्छी चीज मिले हमने उन सब चीजो को लिया हुआ है। जैसे की एक तो फास्ट टैªक क्लीयरेंस, दूसरा केलरा टूरिज्म से टूरिस्ट वार्डेन की एक जगह है इसमे टूरिस्ट को सैफटी और स्क्योरिटी के साथ साथ एक फेंड फिलोसफर गाईड के रुप मे वो काम करता है वो हमने मध्यप्रदेश मे भी लागू करने की कोशिश  की है।
प्र 5. मध्यप्रदेश सरकार पर्यटन विभाग और टूरिज्म को लेकर कितनी प्रगतिशील है ?

उत्तर 5. स्काय इज द लिमिट फॉर द बेटरमेन्ट, मै केवल यही कहूँगा कि हम सब लोग मध्यप्रदेश मे ना केवल पर्यटन विभाग बल्कि सारे विभाग विकास और प्रगति के मार्ग पर है और टूरिज्म के लिए हमारे ओनरेबल पी.एस. सर (प्रीन्सीपल सैक्ट्री), एम.डी. सर (मेनैजिंग डायरेक्टर) सारे लोग और पूरा स्टाफ लगा हुआ है प्रगति के लिए।
प्र 6. अभी हाल ही में मध्यप्रदेश के कुछ जिलो मे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई थी तो क्या म.प्र. पर्यटन विभाग का इसमे कुछ योगदान रहा ?
उत्तर 6. चूकि हम मध्यप्रदेश की वाटर बाॅडीस से जूड़े हुए है और प्रदेश की काफी सारी वाटर बाॅडीस है जैस इंद्रिरा सागर है, गाँधी सागर है, भोपाल लेक है और जितनी भी वाटर बाॅडीस वहॅा हमारे पर्यटन विभाग के सात बोट क्लबस है और बहुत अच्छे गोताखोर और नाविक हमारे सात जुड़े हुए है जब भी कभी प्रदेश मे बाढ़ की या आपदा की स्थिति आती है तो वहॅा पर हमारा विभाग आगे बढ़कर पहल करता है और अभी फिलहाल मे जो बाढ़ आई थी इसमे हमने भोपाल मे, रायसेन मे, विदिशा मे, उज्जैन मे, सागर मे हर जगह हमने अपनी बोटस भेजी, नाविक - गोताखोरो को भेजा और बहुत सारे लोगो की जान बचाई और इसमे पूरे स्टाफ ने लोगो की जान-माल बचाने के लिए बहुत अच्छे प्रयास किए।
 

प्र 7. अभी आपको म.प्र. पर्यटन विभाग मे कितना समय हो गया ? 

उत्तर 7. लगभग दो साल।

प्र 8. इन दो सालो मे पर्यटन विभाग मे आपका सबसे सफल प्रोजेक्ट कौन सा है ? 


उत्तर 8. देखिये मैं जिस प्रोजेक्ट मे काम करता हूँ  वही प्रोजेक्ट मेरे लिए सबसे अच्छा होता है और जो भी प्रोजेक्ट आगे आयेगे क्योंकि आपको प्रतिदिन आपना सौ प्रतिशत देना चाहिए ऐसा मेरा मानना है।

प्र 9. हमें आपके बारे में एक राज की बात पता चली हैं कि आप कुछ कवितायाँ भी लिखते है, तो कविताओं की कुछ पंक्तियाँ  हमसे और हमारे पाठकों के साथ बाँटना चाहेगे? 

उत्तर 9. मेरे हिसाब से हर व्यक्ति लिखता है और कुछ ना कुछ लिखने के लिए ही आदमी बड़ा हुआ है और मै भी दिल मे जो भी कभी आता है चीजो को कागज पर उतार लेता हूँ  वैसे  ना  मै कोई कवि हूँ  ना ही कुछ और ।
यह है कुठ कविताओ जो राजेश जी से जिद् करके आप पाठको के लिये लेनी पढ़ी.....................


1-

‘‘माटी कहें कुम्हार से‘‘
जीवन
  भी है एक हवा का जहाज
जो अपने शुरूवाती दौर में दौड़ता है हवाई पट्टी पर

और यही होता है बचपन
,
फिर उठता है जमीं से
, और पा जाता है ऊचाईयों को ष्
बचपन से ऊपर उठकर छूता है यौवन को

फिर नीले गगन में करता है अठखेलियां

ओर छूता है ऊचीं से बहुत ऊची ऊचाईयों को
,
इसी दरमीयान बीत जाती है जवानी
,
फिर धीरे-धीरे उतरने लगता है

अपनी ही सरजमीं पर

बिलकुल वैसे ही जैसे
‘‘उड़ जहाज को पंछी, फिर इस जहाज पर आवे‘‘
क्योंकि उसे मालूम है कि उसे
, आखिरकार एक दिन जमीं-दस्त होना ही है।
इसी उधेड़बुन में खो जाता है बुढ़ापा

जीवन को मिल जाती है छुट्टी।

ओर वो समा जाता है
, मौत के अगोश में।
मिल जाता है मिट्टी में
, हां अपनी ही माटी में।
तभी माटी कह उठती है
,
एक दिन ऐसा आ गया
, जब मैं रौंदोगी तोय।
बस मैं रौंदोगी तोय
, ............... माटी कहें कुम्हार से।
                                                                                                                              ‘‘राज‘‘




2- 

अभिलाषा  

 

मैं चाहता हूं तुम मर्यादित हो राम से, कर्म पथ पर तुम अडिग हो कृष्ण से।

 

तुम्हारी एकाग्रता एवं लक्ष्य भेदन क्षमता हो अर्जुन सी,

कर्म एवं लक्ष्य के प्रति तुम्हारी प्रतिज्ञा बिलकुल भीष्म सी।

 

तुम में दृढ़ निष्चय एवं षिष्य परंपरा हो एकलव्य सी,

दान वीरता में तुम हो बिलकुल कर्ण से।

 

बात हो धर्म परायणता की तो, तुम्हारी तुलना हो युधिष्टिर से,

भोले पन में तुम हो बिलकुल, भोले भण्डारी-षिव से।

 

तुम्हारे अंदर इच्छा शक्ति हो, नेपाॅलियन सी,

मातृ-पितृ भक्ति में सेवा भाव हो, श्रवण कुमार सा।

 

तुम्हारे अंदर दर्षन हो, शंकराचार्य सा,

भाषाओं की निपुणता हो, सर्वपल्ली राधाकृष्णन सी।

 

जहां हो बात सेवा भावना की, तुम हो मदर टेरेसा से,

तुम चिकित्सक हो धनवंतरी, सुश्रुत एवं चरक से।

 

इंजीनियर हो तुम मोक्षगुण्डंम विष्वेष्वरैया से,  खुष रहो तुम सदा लाफिंग बुद्धा से,

भक्ति करों मीरा सी और कीर्तन चैतन्य सा।

 

मुस्कुराहट हो सदा तुम्हारें लबो पर मोनालिसा सी।

निष्चित ये सभी गुण देवीय/विषिष्ट है,

 

पर सच नेपॅालियन की डिक्सनरी में, असम्भव शब्द था ही नहीं,

 

इसलिए ऐसा नहीं की यह असम्भव है, और में जानता हूं कि तुम्ही इसे संभव करोगे।

 

सच्चाई में हो तुम हरिषचंद्र से,  तुम्हारे अंदर चाहत हो जीवन की।

 

सहायता सचरित्रता एवं सहृदयता के साथ,  तुम बनो एक सच्चे इंसान।

 

क्योंकि जिसने सच्चे अर्थो में जीवन सही मोल जान लिया

उसे ही हमने इंसा से खुदा बना लिया।

‘‘राज‘‘





प्र 10. निजी जीवन मे कविताओ के ऐलावा और आपकी और क्या क्या होंबीज है ?

उत्तर 10. कलचरली और लीटरली चीजो को पसंद करता हूँ  वैसे शूरु से बचपन से ही मेरा मीडियम इंगलिश रहा लेकिन मै हिन्दी लिटरेचर लेकर मै सिविल सरवैन्ट बना तो जहॅा तक हिन्दी का सवाल है ‘‘हम उस देश के वासी है जिस देश मे गंगा बहती है‘‘ हिन्दुस्तान हमारा देश है तो सारे नागरिको को बहुत अच्छी हिन्दी आनी चाहिए मै ये चीज खासतौर पर आपके माध्यम से सबको कहना चाहूँगा क्योंकि विश्व के 122 करोड़ लोग भारत के अगर हिन्दी बोलने लगेंगे तो हिन्दी विश्व की सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा होगी।




प्र 11. आज के इस आधुनिक दौर मे जहॅा सब प्रगति कर रहे है अथवा तैयारी मे है वहॅा लोग माता पिता और परिवार वोलो का अधिक ध्यान नही देते है इस विषय पर कुछ संदेश देना चाहेंगे ? 

उत्तर 11. मै यह कहता हूँ लोगो ने ऊपर वाले को नही देखा है और चलते फिरते देवाता के रुप मे हमारे पेरेन्ट्स होते है बस इतना ही कहना चाहूँगा।



प्र 12. आज आप सफलता के इस शिखर पर है तो इसका श्रेय किसे देना चाहेगे ? 

उत्तर 12. पेरेन्ट्स को और अपने बड़ो को।

थैन्क यू आपने अपने किमती वक्त मे से समय निकालकर हमसे बात की।

नही नही ऐसा कुछ नही, थैंक यू ।
तो पाठको ये थी एक छोटी सी मुलाकात राजेश गुप्ता (डायरेक्टर एम.पी. टूरिजम प्रमोशन यूनिट) की हमारी राष्ट्रीय पत्रिका एंव ब्लॉग हिन्दुस्तान विचार के संपादक गीत धीर के साथ। आपको यह इंटरव्यू कैसा लगा या फिर आप म.प्र.पर्यटन विभाग या राजेश गुप्ता से और भी कुछ जानना चाहते है तो हमें हमारे इेमेल hindustanvichar@yahoo.in पर संर्पक कर सकते है।








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