बुलन्द हौसले से सफलता के आसमान पर: डॉ. सैइद मुमताज़ अली


दोस्तो हमें काफी लोगो के ई-मेल और फोन आये और अधिकतर लोग मिस्टर एम.पी 2012 शो  को देखने के बाद मुमताज़ भाई के बारे में, उनके संघर्ष के बारे में, उनकी सफलताओं के बारे काफी कुछ जानना चाहते हैं और खासतोर पर उन लोगो के लिए जो बाॅडी बिल्डींग की दुनिया में  कुछ कर दिखाना चाहते हैं उनके लिए डॉ. सैइद मुमताज़ अली ( राॅयल जिम संचालक) का इंटरव्यू। तो पढ़ये और जानिये एक आम आदमी से बॉडी बिल्डींग की दुनिया के फेमस कोच और बॉडी बिल्डर तक का सफर।

प्र1. क्या आप अपने जीवन परिचय से अवगत करवाएगे ?

उ1. मेरा बचपन भोपाल मे ही बीता हैं, मेरी स्कूली शिक्षा भी भोपाल में की और फिर सेफीया कॉलेज मैने एंडमीशन लिया और
कॉलेज के फस्ट ईयर से ही मैने बॉडी बिल्डींग शरू कर दी थी। असल मे मैं यह सोचता था कि थोड़ी सी बॉडी बना लू ताकी ग्रैजूऐशन के बाद पुलिस मे मेरा सलेक्षन हो जाये और मैं सोचता था अगर मेरी फिजिक अच्छी होगी तो मेरा सलेक्षन हो जायेगा और लगभग एक साल मे ही मेरी बॉडी काफी अच्छी हो गई पर उस समय कभी भी दिमाग मे यह नही रहा कि कभी बॉडी बिल्डींग का कोच बनना या किसी प्रतियोगिता मे भाग लूंॅगा। उस जमाने मे पढ़ने लिखने वाले काफी कम लोग बॉडी बिल्डींग किया करते थे। उस जमाने मे हमारे सैफीया कॉलेज मे प्रोग्राम काफी जोरदार हुआ करता था उस समय सैफीया कॉलेज भोपाल का काफी अच्छा कॉलेज माना जाता था और काफी भीड़ होती थी उस समय सैफीया काॅलेज मे लगभग पाँच हजार लड़के लड़कीयाॅ पढ़ते थे और मेरी क्लास मे ही करीब 250 छात्र थे। तब वहँा कॉलेज मे बड़ा जोरदार किस्म का कार्यक्रम हुआ करता था उस प्रोग्राम मे बॉडी बिल्डींग का भी कौम्पीटीषन होता था और मेरे दोस्तो के ग्रुप मे काफी लोगो ने मेरी बॉडी देख रखी थी, उस समय मै अपने घर पर चुप चाप पोजिंग करता था पर लोगो के सामने कभी नही करता था लेकिन मेरे काॅलेज के दोस्तो ने देख रखी थी मेरी बॉडी, तो फस्ट ईयर मे मेरे दोस्त काफी पीछे पड़े और मै उनसे कहता रखा की मुझे षर्म आती है मै लोगो के सामने कपड़े नही उतार सकता। मुझे आता सब था पर कपड़े उतार के जनता के बीच मे आने से मुझे शर्म आती थी तो प्रोग्राम के बीच मे ही मै छुप गया पर किसी ने बता दिया की मुमताज़ भाई यहँा हैं, तो मेरे गु्रप के लड़के मेरे पास आ गये और मेरे पीछे पड़ गये मुझे कोम्पीटीशन मे उतरना पड़ा और फिर मैने चैम्पीयन का खिताब जीत लिया और मैं मिस्टर सैफीया बन गया। यह बात हैं सन् 1982 की उस समय बड़ा हँगामा हो गया मिस्टर सैफिया - मिस्टर सैफीया, उसके पहले तो हमे कोई घास नही डालता था, उस समय लोग तो सिर्फ मोटर साईकिल वालो से कार वालो को ही अच्छा समझा करते थे हम तो साईकिल से जाते थे। जैसे ही मिस्टर सैफिया बना और गया दूसरे दिन कॉलेज तो हमारे प्रोफेसर क्या, लड़के क्या, लड़कियाॅ कया लगे करने अरे... मिस्टर सैफीया - मिस्टर सैफीया - मिस्टर सैफीया। उस समय जब कॉलेज का प्रोग्राम हो रहा था तब पूरा ग्राउड फुल था और अगले दिन कई पेपरो में, मैगजिनो मे मेरा फोटो आया और उसके बाद तो जो ग्लेमर का चस्का लगा तो बॉडी बिल्डींग करते रहे। काॅलेज ने हमारी फीस माफ कर दी। कभी मार्केट जाता था तो लोग कहने लगे आओ पहलवान दूध पी लो, पेलवान रबड़ी खा लो, मलाई खा लो। मुझे अच्छा लगने लगा था फिर मैने सोचा अब मिस्टर यूनिर्वसटी भी बनेंगे और वहँा से ग्लैमर का जो चस्का लगा वो बड़ता चला गया।

प्र2. आपने अपने जिम कब शरू किया ?

उ2. मैंने सन् 1988 में शरू किया, पहले मैं गैलार्ड जिम मे
बॉडी बिल्डींग किया करता था पर एक बार गर्मीयो के समय वहँा के प्रबंधक से कहा की गर्मी बहुत लगती हैं क्यू न आप यहँा पर इगजोस्ट फैन लगवाले ताकी गर्मी कम लगें पर मुझे कहा गया कि तुम्हे ही गर्मी लगती हैं बाकी लोगो को तो नही लगती हैं तुम बड़े खिलाड़ी बनते हो........, मैंने उन्हें कहा भी की बाकी लोग शोकीया करते हैं मैं प्रोफेशनली करता हूँ और मुझे मई-जून मे भी कौम्पीटीशन खेलना हैं पर वो नही समझे इस बात को। तो जब वो नही माने तो यही बड़े तलाब के किनारे मैंने दो कमरो का टपरा डालकर वहँा अपनी कसरत करने लगा और मैंने सोचा था की गर्मीयो मे दो महीने यहँा कसरत करुगाॅं और फिर वापस लौटकर गैलार्ड जिम चले जाऊँगा लेकिन जब मैं वहँा एक्सरसाईज़ करने लगा तो मुझे काफी इमप्रूवमेन्ट लगा उसका सबसे बड़ा कारण था तालाब की खुली हवा। उस समय मैं अकेला करता था और एक लड़का मेरा साथ आता था वो मुझे रोड उठाकर देता था क्योंकि स्टेन्ड नही था मेरी बैंच पे, मैं उस समय तक मिस्टर एम.पी. बन चुका था और लड़के मुझे जानने लगे थे तो कुछ लड़के मेरे पीछे पड़े एक्सरसाईज़ सीखने के लिए और मैंने उनसे कहा यह कोई जिम नही हैं यहँा तो केवल एक डमबल, एक राॅड, और दो प्लेटे हैं आप उधर जिम मे जाओ, यहँा तो मैं गर्मी के कारण एक्सरसाईज़ कर रहा हूँ पर वो माने नही कहते रहे नही सर आपके साथ ही करना हैं। मैंने भी सोचा की इनको इतनी करादो कि ये भाग जाये ये यही सोचकर मैंने उन लड़को से कहा जितनी मैं कर रहा हूँ उनती ही तुम्हे भी करनी पड़ेगी और मैंने उन्हे जितने भी लड़के आये थे उसी स्पीड से करवाई जिस स्पीड से मैं किया करता था और धीरे धीरे जितने भी लड़के आ रहे थे वो सब खिलाड़ी बनते जा रहे थे अगर दस लड़के एक्सरसाईज़ कर रहे हैं तो दस के दस चैम्पीयन बने और धीरे धीरे देखते ही देखते लड़के बढ़ने लगे और कभी दो दो चार चार लड़के मिलकर दस दस बीस बीस रुपये जोड़कर कभी प्लेट ले आये कभी डमबल ले आये। इस प्रकार समान भी बढ़ने लगा। कई बार बारिषो मे हमारे टपरे की छत उड़ जाती थी फिर पकड़ के ले आते थे, वहँा हमारे पास एक खोखा था उसमे समान रखते थे और ताले से बंद करके फिर जाते थे घर, तो इस तरीके से धीरे धीरे राॅयल जिम की स्थापना हो गई।

प्र3. क्या
बॉडी बिल्डींग के अलावा भी आपके कुछ शोक है ?

उ3. नही, केवल
बॉडी बिल्डींग ही मेरा शोक हैं और इसका एक ही कारण हैं बॉडी बिल्डींग मे बेइमानी नही होती, जितनी आप मेहनत करते हो उतना आपको उसका रिज़ल्ट मिलता है, मैं क्रिकेट और हाॅकी भी बहुत अच्छी खेलता हूँ पर इन खेलो मे आप चाहे कितनी भी प्रेक्टिस कर लो अगर किसी बड़े आदमी का या नेताओं का फोन आ गया तो आपका सलेक्षन नही होगा और उनके लड़के का हो जायेगा और तो और क्रिकेट और हाॅकी या अन्य किसी भी खेल मे अगर किसी खिलाड़ी को इनाम मिला तो वो कैपटिन ले जाता हैं पर बॉडी बिल्डींग जो हैं सब अपना हैं चाहे वो महेनत हो या इनाम।

प्र4. मैं देख रहा हूँ आज जब आप इतने व्यस्त रहते हैं तो परिवार के लिए क्या वक्त निकाल पाते है ?

उ4. अब जितना मुमकिन हो पाता हैं उतना ही वक्त दे पाते हैं, सच कहा जाये तो कम ही वक्त परिवार वाले को दे पाते हैं और इस कारण से घर वाले कभी कभी नराज़ भी रहते हैं और उनकी नराज़गी भी जायज़ हैं क्योंकि इतवार को भी कभी
बॉडी बिल्डींग कुछ न कुछ कार्यक्रम होता रहते है तो घर वालो के साथ कम समय मिल पाता हैं पर जितना मुझसे होता हैं मैं वक्त देने की कोशिश करता हूँ।

प्र5. अभी हाल ही में मिस्टर एम.पी 2012 प्रतियोग्तिा का आयेजन दानिश ग्रुप द्वारा भोपाल
बॉडी बिल्डींग एसो. के नेतृत्व मे हुआ था और आप भोपाल बॉडी बिल्डींग एसो. के सेकट्री भी हैं तो इस बारे में हिन्दुस्तान विचार पत्रिका के पाठकों को कुछ बताना चाहेंगे ?

उ5. केवल भोपाल मे ही नही बल्कि इंडिया मे किसी राज्य मे या षहर लगभग बीस सालो से मिस्टर एम.पी. मे चाहे मेरा कह लो या राॅयल जिम के लड़को का कह लो, अगर आप
बॉडी बिल्डींग के बीस सालो का इतिहास उठाकर देखोगे तो राॅयल हेल्थ क्लब के लड़के सबसे ज्यादा होते हैं और अगर हमारी टीम नही जाये तो मिस्टर एम.पी का कौम्पीटीशन संभव नही हैं क्योंकि मध्यप्रदेश मे बॉडी बिल्डींग के क्षेत्र मे सबसे ज्यादा लड़के भोपाल के होते हैं और भोपाल मे सबसे ज्यादा लड़के हमारे यहँा के ही होते हैं और तो और आयोजक हमसे पूछकर ही तारीख फिक्स करते हैं क्योंकि अगर यह टीम नही पहुँचे तो नही हो सकता कार्यक्रम, अगर बॉडी बिल्डींग के किसी प्रोगाम मे संपूर्ण मध्यप्रदेश से साठ लड़के आयेंगे तो राॅयल हेल्थ क्लब के भी लगभग साठ लड़के जाते हैं।

प्र6. इस वर्ष 2012 मे दानिश ग्रुप ने मिस्टर एम.पी की प्रतियोग्तिा का आयोजन किया था और इस ग्रुप के बारे में कुछ बताना चाहेगे ?

उ6. दानिश ग्रुप के सहयोग करने से और
बॉडी बिल्डींग मे आने से बॉडी बिल्डींग दस क्या पचास कदम आगे बढ़ गई हैं आज तक इतना अच्छा मंच खिलाडि़यो को कभी नही मिला, ना ही कभी इतना पैसा मिला, ना कभी इतना सर्पोट मिला जो दानिश ग्रुप के जुड़ने से मिला हैं और यह खुश किस्मत हैं आज के खिलाड़ी क्योंकि हमारे समय मे तो हमे एक रुपया नही मिलता था और चार चार घंटे महेनत करते थे और बगेर मेडिसन के महेनत करते हैं और एक रुपया तक नही मिलता था आज खिलाड़ीयो को इतना कवरेज, इतने बड़े होडिंगस। हम लोग तो जब हमारा पेपर मे छपवाते थे तो हमें तो ब्लाक बनवाने भोपाल प्रोसेस जाना पड़ता था, पहले ब्लाक बनता था फिर वो चपता था बड़ी मुशकिल से, अब आज तो बहुत फर्क आ गया हैं।

प्र7. क्या यह सही हैं कि जैसे जैसे
बॉडी बिल्डरस की बॉडी मे सुधार आता जाता हैं उनमे आक्रोश भी बड़ जाता हैं ?

उ7. नही, ये सब गलत बात हैं। मैंने तो हर जगह प्रोफेषनली
बॉडीबिल्डींग की हैं और आज तो लड़के बहुत ज्यादा महेनत नही करते हैं और मेडिसन लेते हैं पर आप कभी भी किसी से भी मेरे बारे में भी पूछ ले कि जब मैं मध्यप्रदेश चैम्पीयन था तब भी मुझमे आक्रोश नही था और आज भी नही हैं, तो ऐसा तो कुछ नही हैं कि आक्रोश आ जाता हैं।

प्र8. अगर किसी व्यक्ति को सही जिम या ट्रेनर का चुनाव करना हैं तो वो कैसे करे ?

उ8. इसमे अक्सर लोग गलती कर देते हैं पर सही बात तो यह हैं कि उन्हे जब नया नया
बॉडी बिल्डींग का क्रेज चड़ता हैं तो उन्हे नाॅलेज ही नही होता लेकिन पढ़े लिखा लड़के को ऐसी गलती नही करनी चाहिए। जब मैं बॉडी बिल्डींग करने की षुरुवात कर रहा था तो उस वक्त जब मैं जिम मे गया तो मैंने वहँा पूछा की ये भाई साहब जिनका जिम है ये कौन हैं तो जवाब मिला ये फला है, तो मैंने फिर पूछा तो ये क्या बॉडी बिल्डींग के चैम्पीयन रहे है इनकी फोटो तो कही दिख नही रही तो फिर मुझे जवाब मिला नही साहब ये कुछ नही रहे है, तो फिर मैंने पूछा जब ये कभी चैम्पीयन रहे ही नही है तो ये मुझे क्या बताऐंगे, तो फिर मैं उस जिम से बाहर आ गया और फिर सोचा के किससे पूछँू? क्योंकि मैं यह चाहता था की जो चैम्पीयन रहा हो और उसकी अच्छी बॉडी हो मैं तो उसी से पूछूगाँ कि बॉडी कैसे बनेगी, तो किसी भी जिम मे जाने से पहले ये देखना चहिए की वहँा का कोच कैसा है उसमे क्या काबिलियत है और उस कोच की कैसी बॉडी है और उसने कैसे बनाई है ऐसी बॉडी और इसके साथ साथ कोच की ऐजूकेशन भी बहुत जरुरी हैं क्योंकि हर बॉडी बिल्डर अच्छा कोच नही हो सकता जैस कपिल देव अच्छा खिलाड़ी हैं पर एम्पायर नही है, तो कोच एक बॉडी बिल्डर हो और उसके पास बॉडी बिल्डींग की अच्छी नाॅलेज भी हो और आप हमेशा कोच से एक्सरसाइज बताने पर ये पूछे यह किस लिए हैं इससे क्या बनेगा, फिर अगर मैं ऐसे पकड़ूगाँ तो क्या होगा या फिर अगर मैं वेसे पकड़ूगाँ तो क्या होगा और जो बार बार पूछता है फिर समझता है और फिर जो बॉडी बनाता है। जैसे डाक्टर, इंजीनियर का कोर्स होता है वैसे आज कल बॉडी बिल्डर का भी र्कोस होता है पर होता क्या है कि एक आपने किसी की बॉडी अच्छी तगड़ी देखी तो आदमी सोचता है यार ये सही बता देगा। मैंने ऐसे हजारो लड़के निकाले है जिनको कहो दस सेट लगा लो वो लगा लेंगे पर पूछेंगे नही क्यो लगाले कैसे लगाले और कोच वही बन सकते है जो पूछे सर कैसे लगाना हैं, कितने सेट लगाना हैं, कितने दिन तक लगाना हैं आदि बातें।

प्र9. क्या
बॉडी बिल्डींग के लिए नॉन वेज भोजन खाना जरुरी है?

उ9. नही, ऐसा कुछ नही है, जो व्यक्ति का जेब इज़ाजत दे वो वही खाये और आम घर का वेज भोजन खाने से भी
बॉडी बनती है मैंने मिस्टर यूनिवर्स मनोज भाई से पूछा दादा आप क्या खाते हो (मनोज भाई अभी 100 साल के है) तो उन्होंने कहा जो घर में सब्जी बन जाती हैं मैं वही खा लेता हूँ और आज तक नाॅन वेज नही खाया और सच्चाई भी यही हैं आजकल तो लोग मेडीसेन खा रहे हैं आदि पर हमने बी और सी कैटीगिरि की आम आदमी की साधरण डाइट खाई है और उसके बाद भी एम.पी. चैम्पीयन रहे हैं।

प्र10. आप तो काफी प्रतियोगिताॅंए करवाते रहेते है काफी मे भाग भी लिया हैं तो कुछ ऐसा किस्सा या वाक्य जो आपके लिए यादगार हो बताना चाहेंगे ?


उ10. मैं एक बार पंजाब मे जालन्दर गया था वहँा मैं लड़कियो की बाॅडी बिल्डींग प्रतियागिता देखी तो अच्छा लगा क्योंकि यहँा तो बाॅडी बिल्डींग और फिटनेस के लिए केवल जैन्टस ही आग आते है तो यह देखकर मुझे अच्छा लगा की अब भारत की महिलाएॅ भी
बॉडी बिल्डींग और फिनटेस के लिए जागरुप हो रही है और देष को आगे बड़ा रही है। अभी आप देखेगे तो अधिकतर बीस-पच्चीस साल के लड़के कसरत कर रहे हैं एक्सरसाइज़ चालीस-पचास साल के व्यक्ति के लिए जरुरी हैं और भारत मे जिम तब सफल माना जायेगा जिसमे लड़के - लड़कीयाॅ, बूढ़े ओदमी - बूढ़ी औरते एक्सरसाइस करते आपको दिखेंगे तो मैं मानूगाॅ की हमारे देश मे जागरुकता आई है। आज लोग बीमारीयो से जूड़ रहे है पर एक्सरसाइज़ से नही और एक्सरसाइज़ से जूड़ना बहुत ही जरुरी है।

प्र11.
बॉडी बिल्डींग के लिहाज़ से भोपाल मे आने वाला समय कैसा होगा ?

उ11. आने वाला समय तो भोपाल के लिए बहुत अच्छा है खासतौर पर हिन्दुस्तान मे तो बहुत इम्प्रूवमेन्टस हो रहे है, काफी केष प्राइज बंॅट रहे है, स्तर भी बढ़ रहा है और भोपाल मे इस साल ताबिश भाई (भोपाल
बॉडी बिल्डींग एसो. के अध्यक्ष) के जूड़ने से एक ही साल आप देखे भोपाल का लड़का आनन्द मिन्ज मिस्टर इंडिया बना तो तरक्की तो इसी साल से शरू हो गई है और आने वाला समय भी बहुत अच्छा होगा।

प्र12. मुमताज भाई एक आखरी सवाल आज आप एक काबिल अफसर है देश के जाने माने बॉडी बिल्डींग कोच हैं तो इन सफलताओं का श्रेय किससे देगें?

उ12. सफलताओं का श्रेय के सही हकदार तो मेरे घर वाले है मेरे माता पिता है।
(नोटः आप डॉ साईद मुमतान अली से सवाल भी पूछ सकते हैं उसके लिए हमे हमारे ईमेलः hindustanvichar@yahoo.in पर संपर्क कर सकते है)

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