कुशाभाऊ ठाकरे जन्म शताब्दी वर्ष पर श्री विष्णु दत्त शर्मा विशेष लेख - हिन्दुस्तान विचार Hindustan Vichar

संघर्ष के अनंत पथ का आचरण थे ठाकरे जी

विष्णु दत्त शर्मा (लेखक भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश के अध्यक्ष हैं)


भारतीय जनता पार्टी आज करीब 11 करोड़ सदस्यों वाला दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक दल है। यही नहींए बल्कि भाजपा सबसे अधिक सांसदोंए विधायकोंए पार्षदों वाली पार्टी भी हैए जिसकी देश के सबसे अधिक राज्यों में सरकारें हैं। 1980 में जनसंघ के आदर्शों पर स्थापित भारतीय जनता पार्टी आज एक विशाल वट वृक्ष बन चुकी है। पार्टी की इस विकास गाथा को समझने के लिए उस विचार को समझना तो जरूरी है हीए जिससे यह वट वृक्ष पल्लवित हुआ है। इसके साथ ही पार्टी के उन पूर्वजों को जानना भी आवश्यक हैए जिन्होंने अंकुरण की अवस्था से लेकर वटवृक्ष बनने तक इसकी देखभाल की। अपने खून.पसीने से इसे सींचा और इसकी जड़ों को इतनी मजबूती दी कि वह भविष्य में आने वाले हर झंझावात का सामना कर सके। स्वण् कुशाभाऊ ठाकरे पार्टी के उन्हीं महानायकों में से एक हैंए जिनका नाम पार्टी के विकास और विस्तार का पर्याय बन गया है। एक अभिभावक के रूप में उनके व्यक्तित्व की सारी विशेषताएं आज भी पार्टी की रग.रग में दिखाई देती हैं और पार्टी के हर अंग को ऊर्जा प्रदान कर रही हैं।

अभिभावक की तरह हर दौर में किया पार्टी का मार्गदर्शन

स्वण् ठाकरे के जीवन का अधिकांश हिस्सा भारतीय जनता पार्टी के साथ बीता है। इसीलिए देश और विशेषकर मध्यप्रदेश में पार्टी संगठन और उसके हर क्रियाकलाप पर स्वण् ठाकरे की कार्यप्रणाली की छाप स्पष्ट तौर पर दिखाई देती है। स्वण् ठाकरे ने 1942 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में अपने व्यक्तित्व की जिन विशेषताओं को प्रदर्शित कियाए वे 1998 में भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने तक और भी निखर कर सामने आईं। 1951 में स्वण् ठाकरे अविभाजित मध्यप्रदेश में संस्थापक सदस्य के रूप में जनसंघ से जुड़े और उसके काम को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया। 1962 में विधानसभा में जनसंघ के सदस्यों की संख्या 12 से 41 तक पहुंचाने और उसे मान्यता प्राप्त विरोधी दल का दर्जा दिलाने में ठाकरे जी की अहम भूमिका रही। 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई और स्वण् ठाकरे एक मौन साधक की तरहए बिना किसी आडम्बर के उसके विस्तार में जुट गए। यह उनकी साधना और तपस्या का ही परिणाम था कि 1990 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को दो तिहाई बहुमत मिल गया। स्वण् ठाकरे जी पार्टी के प्रदेश अध्यक्षए अखिल भारतीय महासचिव और प्रदेश के प्रभारी जैसे विभिन्न पदों पर रहते हुए 1998 में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने और 2000 तक इस पद पर रहे। राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए भी स्वण् ठाकरे का मध्यप्रदेश और यहां के कार्यकर्ताओं से आत्मीय रिश्ता हमेशा बना रहा। प्रदेश का कोई भी कार्यकर्ता कभी भी उनसे मिल सकता थाए उनका मार्गदर्शन ले सकता था।

संगठन के शिल्पीए कार्यकर्ताओं के पारखी

स्वण् कुशाभाऊ ठाकरे का देहांत 28 दिसंबरए 2003 को हो गयाए लेकिन जीवन के अंतिम समय तक उनकी हर सांसए हर पल भाजपा को समर्पित रहा। संगठन में अपने लंबे अनुभव के कारण स्वण् ठाकरे कार्यकर्ताओं के पारखी बन गए थे। वे एक नजर में यह समझ जाते थे कि किस कार्यकर्ता का उपयोग पार्टी के काम में कहां पर किया जा सकता है। उन्होंने न सिर्फ समर्पित कार्यकर्ताओं को तैयार कियाए बल्कि पार्टी के काम में उनका समुचित उपयोग भी किया। इसी तरह संगठन के क्षेत्र में अगर देखेंए तो स्वण् ठाकरे द्वारा किये गए कई नवाचार आज पार्टी के लिए नियम बन गए हैं। उनका मानना था कि पार्टी का खर्च कार्यकर्ताओं से मिले सहयोग से चले। इसके लिए उन्होंने आजीवन सहयोग निधि की व्यवस्था का सूत्रपात किया। मध्यप्रदेश से शुरू हुंई यह व्यवस्था आज पूरे देश में अपनाई जा रही है और इसी की बदौलत पार्टी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकी है। ठाकरे जी जो भी निर्णय लेते थेए प्रमुख कार्यकर्ताओं से विचार.विमर्श के बाद लेते थे। इस दौरान उन कार्यकर्ताओं को भी अपनी बात रखने की पूरी आजादी होती थी। उनके द्वारा शुरू की गई यह परंपरा आज भाजपा के आंतरिक लोकतंत्र का आधार है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में श्री अमित शाह जी ने भाजपा को दुनिया का सबसे बड़ा दल बनाया है। नित नए कार्यकर्ताओं को जोड़ना और उनको संस्कारित करना यह काम अमित शाह जी और उसके बाद श्री जेपी नड्डा जी के नेतृत्व में भाजपा बखूबी करते हुए ठाकरे जी की कार्यशैली को आगे बढ़ा रही है। ठाकरे जी मानते थे कि परिस्थितियां कैसी भी होंए संगठन का काम नहीं रुकना चाहिए और पार्टी की पहली जिम्मेदारी देश और समाज के लिए है। उनके ये विचार पार्टी के संस्कार बन गए हैं। इसीलिए कोरोना संकट में प्रधानमंत्री श्री मोदीजी एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नड्डाजी के आह्वान पर लाखों कार्यकर्ता लोगों की मदद के लिए निकल पड़े थे।

सादगी और अनुशासन की प्रतिमूर्ति

स्वण् ठाकरे चकाचौंध से दूर रहकर पर्दे के पीछे रहकर काम करते थे। वे किसी महल के कंगूरों की बजाय नींव का पत्थर बनना अधिक पसंद करते थे। यही वजह रही कि पार्टी सत्ता में होए या विपक्ष में ठाकरे जी इससे अप्रभावित रहे। वे पार्टी के उन कार्यकर्ताओं में शामिल थेए जो चने खाकरए पैदल या साइकिल से यात्रा करते हुए परिणाम के बारे में न सोचते हुए सिर्फ पार्टी के काम को ही धर्म समझते थे। उनका जीवन पार्टी कार्यालय के ही एक कमरे में गुजरा। स्वण् ठाकरे जी भाषणों की बजाय अपने आचरण से संदेश देने में विश्वास रखते थे। मध्यप्रदेश में पार्टी की सरकार बन जाने के बाद जब बैतूल में प्रदेश कार्यसमिति की बैठक थीए तब स्वण् ठाकरे ने कार की बजाय बस से ही बैतूल जाकर पार्टी पदाधिकारियों को जो संदेश दिया थाए उसे भुलाया नहीं जा सकता। संघ के स्वयंसेवक के रूप में संस्कारित स्वण् ठाकरे अपने कार्यकर्ताओं से अनुशासन में रहने की अपेक्षा करते थे और स्वयं भी उसका पालन करते थे। उम्र बढ़ने के साथ उनके पैरों पर सूजन रहने लगी थीए जिसके कारण वे जूते नहीं पहन पाते थे। उसी दौरान पूना में संघ का एक कार्यक्रम थाए जिसमें स्वयंसेवकों को पूर्ण गणवेष में शामिल होना था। लेकिन पैरों की सूजन के कारण ठाकरे जी बिना जूतों के कार्यक्रम स्थल पर पहुंच गए। उन्हें पूर्ण गणवेष में न होने के कारण गेट पर ही रोक दिया गया। ठाकरे जी अगर चाहते तो कार्यक्रम में पहुंच सकते थे। लेकिन उन्होंने चुपचाप वापस आना पसंद किया। उनका पूरा जीवन ही सादगी और अनुशासन की मिसाल रहा।

कुशल योजनाकार और योग्य सेनापति

स्वण् ठाकरे के जीवन का अधिकांश हिस्सा संगठन में काम करते हुए बीताए लेकिन वे चुनावी राजनीति के भी कुशल योजनाकार थे और एक कुशल सेनापति की भांति कार्यकर्ताओं का नेतृत्व करते थे। स्वण् ठाकरे के नेतृत्व में जनसंघ ने 1952 के विधानसभा चुनाव में ही अपनी उपस्थित का अहसास करा दिया था। वहींए 1962 के चुनाव में तो जनसंघ मान्यता प्राप्त विरोधी दल बन गया। चुनावी राजनीति में स्वण् ठाकरे एक.एक सीट का महत्व जानते थे। 1959 में सीहोर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना था। उस समय जनसंघ के विधानसभा में 11 सदस्य थे। एक और सदस्य बढ़ने या कम होने से कोई फर्क नहीं पड़ना था। लेकिन स्वण् ठाकरे ने इस उपचुनाव को प्रदेश भर में संदेश देने के अवसर के रूप में देखा। उन्होंने महीनों पहले से कार्यकर्ताओं को गांव.गांव में उतार दिया और जनसंघ ने ये उपचुनाव जीत लिया। इसी तरह 1988 में जब मोतीलाल वोरा को हटाकर कांग्रेस ने अर्जुनसिंह को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनायाए तो उन्होंने खरसिया से विधानसभा उपचुनाव लड़ा। लेकिन स्वण् ठाकरे की रणनीति और कार्यकर्ताओं की जमावट के आगे अर्जुनसिंह को मुख्यमंत्री होने के बावजूद यह चुनाव जीतने में पसीना आ गया था। हर चुनाव को पूरी गंभीरता से लेने की ठाकरे जी की सोच के चलते ही 1990 में प्रदेश में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बन सकी थी।

कार्यकर्ताओं से रहे आत्मीय रिश्ते

भारतीय जनता पार्टी के संगठन में मुझे स्वण् ठाकरे के साथ काम करने का अवसर भले ही न मिला होए लेकिन एक नेता के तौर पर कार्यकर्ताओं में उनकी लोकप्रियता मेरे लिये प्रेरणास्रोत है और किसी भी संगठन पदाधिकारी के लिए होना भी चाहिए। सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि स्वण् ठाकरे जी ने कार्यकर्ताओं से अपने संबंधों के बूते पर ऐसे समय में समर्पित कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी कीए जबकि सत्ता की कोई संभावनाएं दिखाई नहीं देती थीं। दूर.दूर तक संघर्ष का अनंत पथ ही दिखाई देता था। ठाकरे जी कार्यकर्ताओं को परिवार का सदस्य मानते थे और जब कार्यकर्ताओं के घर जाते थेए तो एक परिजन की तरह परिवार में घुलमिल जाते थे। वे कहते थे कार्यकर्ताओं के मन में घर बनाओ। रेत.मिट्टी का नहींए बल्कि आस्थाए श्रद्धा और विचारों का घर। वे कहते थे भौतिक चीजें तो समय के साथ गायब हो जाएंगीए पर अटूट विश्वास और प्रेम से सिंचित घर तूफानों में भी मजबूत किले की तरह खड़ा रहेगा। और सचमुचए ठाकरे जी हमारे बीच नहीं हैंए लेकिन उनके जाने के वर्षों बाद भी प्रदेश का हर कार्यकर्ता अपने मन में आज भी उनकी उपस्थिति को महसूस करता है। ठाकरे जी का आचरण और स्मृतियां कार्यकर्ताओं के बीच में चिरस्थाई रहेए इसलिए भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश ने उनके जन्म शताब्दी वर्ष को ष्संगठन पर्वष् के रूप में मनाने का फैसला किया है। हम वर्षभर पार्टी के कार्य विस्तारीकरण और सुदृढ़ीकरण की दिशा में विभिन्न प्रकार के कार्यों और योजनाओं के तहत आगे बढ़ेंगे। इस संगठन पर्व के तहत बूथ तक नवाचारों के जरिए कार्यकर्ताओं को जोड़ने और प्रशिक्षित करने के अभियान चलाए जाएंगे।



www.hindustanvichar.blogspot.com



Comments

Popular posts from this blog

भोपाल में खुला एक ऐसा जिम जिसके संचालक खुद बॉडी बिल्डिंग की दुनिया में एक मिसाल है

Tabish Khan (President Bhopal Bodybuilding and Fitness Asssociation)