डॉ .ए.एन.मित्तल की पदोन्नति में हुई अनियमितताओं को लेकर राकेश साहनी सहित चार अन्य आईएएस के विरूद्ध लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज


मध्यप्रदेश कांग्रेस  प्रवक्ता के.के. मिश्रा द्वारा प्रदेश के संचालक, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ ए .एन. मित्तल की हुई अवैध पदोन्नति और इसमें अपनाई गई घोर अनियमिमताओं को लेकर गत दिनों माननीय लोकायुक्त के समक्ष प्रस्तुत दस्तावेजी शिकायत  पर संज्ञान लेते हुये लोकायुक्त संगठन ने प्रदेश  के पूर्व मुख्यसचिव राकेश  साहनी सहित चार अन्य वरिष्ठ आईएएस के विरूद्ध प्रकरण क्रमांक 282/2010 दर्ज कर लिया है।
मिश्रा द्वारा माननीय लोकायुक्त को  प्रेषित अपनी शिकयत में  डॉ. मित्तल को संचालक पद पर पदोन्नति दिये जाने हेतु गत् 20 जून 2009 को संपन्न विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक में 2 करोड़ रुपयों  के लेन-देन, अनियमितता और अवैधानिक प्रक्रिया अपनाने का आरोप लगाते हुये पूर्व मुख्यसचिव राकेश  साहनी, अपर सचिव विनोद चैधरी,  प्रमुखसचिव लोकस्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ .देवराज बिरदी,   प्रमुख सचिव सामान्य प्रशसन सुदेश  कुमार और उपसचिव, लोकस्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण जयश्री कियावत के विरूद्ध दस्तावेजी शिकायत 12 मार्च, 2010 को दर्ज कराई गयी थी। शिकायत   में डी.पी.सी.  को चुनौती देते हुये कहा गया था कि स्वास्थ्य विभाग में संचालक के मात्र चार पद ही स्वीकृत है जिनमें दो पदों पर डॉ .अशोक एवं डॉ .योगीराज शर्मा काबिज थे। तीसरे पद को भरने के लिए डॉ .अशोक  वीरांग विरूद्ध मध्यप्रदेश  शासन व अन्य के खिलाफ दायर याचिका क्रमांक डब्ल्यू.पी.6787/08 को लेकर उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ द्वारा पारित निर्णय के तहत एक पद रिक्त है,वहीं चैथा पद अजा वर्ग के लिये आरक्षित है। पांचवा पद संचालक,गैस राहत के लिए सृजित है,जो केडर न होकर प्रतिनियुक्ति से संबंधित है। लिहाजा, इस पद पर डीपीसी नहीं हो सकती है। इस बाबद गैस राहत विभाग द्वारा पद की पूर्ति हेतु मांग भी नहीं की गई। बाबजूद इसके राकेश  साहनी की अध्यक्षता में सम्पन्न बैठक में डॉ .मित्तल को लेन-देन,अनियमितता और अवैधरूप से संचालक पद पर पदोन्नति देकर उपकृत किया गया ।
शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया कि वरीयता सूची में डॉ . मित्तल सबसे अंतिम व्यक्ति थें फिर भी विचारण झोन के बाहर होने पर भी उन्हें शामिल किया गया,अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के ग्रेडिंग में छेड़छाड़ की गई ,गोपनीय रिपोर्ट अथवा बंद लिफाफा अथवा अन्य कारण बताते हुये उनके नामों पर विचार ही नहीं किया गया और मूल्यांकन में भी डॉ .मित्तल को 20 नंबर देकर उन्हें उत्कृष्ठ श्रेणी में लिया गया,जिसके वे पात्र ही नहीं थे।
लोकायुक्त ने मिश्रा को दी गई अपनी सूचना में दस्तावेजी प्रकरण को जांचोपरांत सही पाते हुये उक्त वरिष्ठ प्रशसनिक अधिकारियों के विरूद्ध प्ररकण क्रमांक 222/2010 दिनांक 7 सितम्बर, 2010 को पंजीबद्ध किये जाने की जानकारी दी है

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