कांतिलाल भूरिया (कांग्रेस) - कन्यादान योजना को मंत्रियों और भाजपा के दलालो ने कर डाला दूषित, शादीशुदा भी ब्याहे जा रहे है
कन्यादान योजना को मंत्रियों और भाजपा के दलालो ने कर डाला दूषित, शादीशुदा भी ब्याहे जा रहे है: भूरिया
भोपाल 31 मई। मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया ने कहा है कि राज्य सरकार ने जब कन्यादान योजना लागू की थी-तब विश्वास बंधा था कि उसकी मदद से गरीब परिवारों की बेटियों को ब्याहने में जरूरतमंद परिवारों को मदद मिलेगी, लेकिन जब से भाजपा सरकार के मंत्रियों का राजनीतिक स्वार्थ एवं भाजपाई दलालों की अवैध कमाई का रिश्ता इस योजना के साथ जुड़ा है, योजना की उपयोगिता और पवित्रता, दोनों नष्ट हो गई है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव जैसे कुछ मंत्रियों ने इस योजना को अपनी ‘‘चुनावी तैयारियों’’ और अपने महिमामंडन का एक जरिया बना डाला है। उनकी गांठ से एक रूपया भी खर्च नहीं हो रहा है और अपनी भरपूर वाहवाही भाजपा के मंत्रीगण करवा रहे हैं। आपने कहा है कि इस योजना से भाजपा के दलालों की तो पौ बारह ही हो गई है। वे कन्यादान योजना के लिए सामग्री खरीदी में अधिकारियों के साथ सांठगांठ करके बिचैलिये के बतौर अच्छी कमाई कर रहे हैं। इस तरह एक अच्छी योजना को भाजपा सरकार के मंत्रियों और दलालों ने दूषित कर डाला है। नतीजन कन्यादान योजना तेजी से भ्रष्टाचार में आकंठ डूबती चली जा रही है।
कांतिलाल भूरिया ने कहा है कि कन्यादान योजना के संचालन की व्यवस्था के भीतर भाजपा के स्थानीय रसूखदार नेताओं और कार्यकर्ताओं की घुसपैठ हो जाने के कारण सरकारी तंत्र तो इस योजना के मामले में मूकदर्शक बनकर रह गया है। दलाली के चक्कर में नाबालिगो की शादियां रचा दिये जाने की शिकायतें तो हर साल आती रहती हैं। दो-तीन साल से एक नई शिकायत और आने लगी है। सत्तारूढ़ पार्टी के रसूखदार लोग अब बाल-बच्चेदार दंपतियों का दुबारा-तिबारा हाथ पीले करवाने लगे हैं। इसमें ऐसे ब्याह रचाने वाले एवं दलाल, दोनों को फायदा मिलता है। आपने कहा है कि कभी-कभी तो ऐसा लगता है, जैसे विवाह कराना ही सरकार का एक मात्र काम रह गया है। समूचा सरकारी तंत्र विकास और जनहित के सारे काम एक तरफ पटक कर जिला स्तर पर केवल विवाह योग्य जोड़े ढूंढ़ने और ब्याह रचाने में जुट जाता है। कन्यादान समारोह की ये तैयारियां कम से कम 15 दिन तो चलती ही है। इस दौरान जिले में सामान्य सरकारी कामकाज ठप्प हो जाता है।
मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि कन्यादान समारोह का सारा खर्च तो सरकारी खजाने से किया जाता है, लेकिन भाजपा के कुछेक मंत्री बड़ी चालाकी से समारोह को इस तरह प्रचारित कराते है कि आम लोगों को लगता है जैसे आयोजन मंत्री द्वारा अपने निजी पैसों से कराया जा रहा है। इस चुनाव-वर्ष में मंत्रियों की यह चालबाजी साफ-साफ उजागर हो रही है। प्रमाण रूप में सागर जिले में पिछले दिनों हुए कन्यादान समारोह को देखा जाए तो वहां के समारोह को पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने अपने निजी कार्यक्रम में बदल दिया था। कन्यादान संबंधी पिछले वर्षों की उपलब्धियों को अपने खाते में शामिल करते हुए उन्होंने सामाजिक न्याय विभाग द्वारा जारी बड़े-बडे़ विज्ञापनों में अपना जमकर महिमामंडल कराया है। सवाल यह है कि एक सरकारी योजना का इस तरह अपने राजनीतिक फायदे के लिये उपयोग करना कहां तक उचित है ?
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