नरेन्द्रसिंह तोमर - मध्यप्रदेश में किसानों के दुख दर्द में पार्टी और सरकार उनके पीछे चट्टान की तरह तत्पर हैयुद्ध स्तर पर राहत पहुचाई जायेगी





मध्यप्रदेश में किसानों के दुख दर्द में पार्टी और सरकार उनके पीछे चट्टान की तरह तत्पर हैयुद्ध स्तर पर राहत पहुचाई जायेगी - नरेन्द्रसिंह तोमर


 
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद नरेन्द्रसिंह तोमर ने हाल के दिनों में प्रदेश के कमोवेश तीन दर्जन जिलों में प्राकृतिक आपदा से प्रभावित ढाई लाख से अधिक किसानों की फसलों की क्षति पर चिंता व्यक्त की है और किसानों को विश्वास दिलाया है कि राज्य सरकार और पार्टी संगठन संकट के इस दौर में अन्नदाता किसानों के पीछे चट्टान की तरह खडा है। किसानों को हर संभव राहत सुनिश्चित की जायेगी जिससे वे आगामी खरीफ के बारे में निश्चिंत हो सके और अपने पैरों पर खड़े होने में सक्षम बनें। नरेन्द्रसिंह तोमर ने प्राकृतिक आपदा प्रभावित क्षेत्रों में किसानों के दुख दर्द में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान के पहंुचने और युद्ध स्तर पर क्षति के आंकलन का ब्यौरा तैयार कर राहत देने के प्रयासों पर संतोष व्यक्त किया है। नरेन्द्रसिंह तोमर ने प्रशासकीय अमले से अन्नदाता के प्रति उदार और सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया है। आपने कहा कि बीमा का लाभ किसानों को मिल सकेगा और बिना ब्याज के खाद बीज उपलब्ध होगा। कर्ज वसूली स्थगित रहेगी और आधा मूलधन और ब्याज सरकार भरेगी शेष का किसान दो वर्ष में अदा कर सकेंगे।
 
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार प्राकृतिक आपदा की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री ने स्वयं मंत्री परिषद की बैठक बुलाकर समस्या की गंभीरता पर विस्तार से चर्चा कर राजस्व सामान्य परिपत्र पुस्तिका में संशोधन का मार्ग प्रशस्त किया। संशोधन पर फिर संशोधन कर काश्तकारों के घावों पर मरहम लगाने की भरपूर चेष्ट की गयी। राहत राशि में उदारतापूर्वक वृद्धि की गयी। प्रशासकीय तंत्र को सजग बनाया गया कि किसानों को लगे कि राजस्व संहिता किसानों के लिए है। किसान संहिता के लिए नहीं।
 
नरेन्द्रसिंह तोमर ने कहा कि 50 प्रतिशत क्षति को शत प्रतिशत मानकर 15 हजार रू. प्रति हेक्टेयर के मान से राहत स्वीकृत की गयी है। मसाला फसलें और औशधीय पौधों की खेती राहत की परिधि में पहली बार लायी गयी है और उसकी क्षति का विशेष मानदंड 25 हजार रू. प्रति हेक्टेयर घोषित किया जा चुका है। इस संशोधन और परिवर्द्धन के फलस्वरूप प्याज, आलू, मसाले, धनिया, ईसबगोल जैसी फसलों की बर्बादी पर भी किसानों को 25 हजार रू. हेक्टेयर तक राहत पहुचाई जायेगी।
 
उन्होंने केन्द्र सरकार से आग्रह किया कि मध्यप्रदेश में प्राकृतिक आपदा से हुई क्षति के लिए राज्य को विशेष पैकेज मंजूर किया जाए और आपदा कोष से मिलने वाली आपदा सहायता राशि में वृद्धि की जाए। फसल के लागत मूल्य के बजाए राहत बाजार मूल्य आधारित मंजूर की जाए।











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