शिवराज सिंह चैहान भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक का समापन करते हुए
गांव सड़कों से जुड़ने के बाद प्रदेश में खेत खलिहान तक सड़कों का जाल बिछेगा, प्रदेश की नदियों का पानी बहकर समुद्र में नहीं जायेगा, किसान के खेत का श्रृंगार करेगा - शिवराज सिंह चैहान
भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक का समापन करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने कहा कि नर्मदा से मालवा के 16 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई करने की योजना है। इसे पूरा कर मालवा को रेगिस्तान बनने से रोका जायेगा। मध्यप्रदेश की नदियों का जल बहकर समुद्र में नहीं जायेगा। नदी जल से खेत की प्यास बुझायी जायेगी। हर खेत को पानी और हर व्यक्ति को काम भारतीय जनता पार्टी सरकार की प्रतिबद्धता है, जिसे पूरा किया जा रहा है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि आने वाले पांच वर्षो में मध्यप्रदेश देश का पहले नंबर का राज्य होगा। सरकार प्रदेश की तस्वीर और जनता की तकदीर बदलकर ही दम लेगी। प्रदेश में आजादी के बाद पहली बार नहरों से टेल एंड तक पानी पहंुचा है। कांग्रेस ने 45 वर्षों में प्रदेष में 7 लाख हेक्टेयर सिंचन क्षमता का सृजन किया था इसे बढ़ाकर हमने 24 लाख हेक्टेयर किया है और यह 25 लाख हेक्टेयर तक पहंुचने जा रहा है। प्रदेश की सिंचाई योजनाओं की सिंचाई क्षमता का लाभ पहली बार आष्वस्त हुआ है। 30 साल पुरानी अधुरी पडी सिचांई योजनाओं को हमने पूरा करके दिखाया है। मध्यप्रदेश में जीरो प्रतिषत ब्याज पर गत वर्ष 6 हजार करोड़ रू. कर्ज बांटा गया था इस वर्ष 10 हजार करोड़ रू. का कर्ज बांटा जायेगा। खाद का अग्रिम भंडारण कर किसानों की मांग पूरी की है और इसके एवज में राज्य सरकार 59 करोड़ रू. की राषि खुद वहन करेगी। इस वर्ष प्रदेश में 115 लाख मैट्रिक टन गेहंू का उपार्जन किया जायेगा। उस पर 150 रू. बोनस के सरकार भुगतान करेगी। मध्यप्रदेश में खेती को लाभ का धंधा बनाने में राज्य सरकार ने कोई कसर नहीं छोडी है जिसके अच्छे परिणाम आए है और राज्य सरकार को कृषि कर्मण अवार्ड से सम्मानित किया गया है। मध्यप्रदेष में सुषासन का ही परिणाम है कि केन्द्र सरकार को विवष होकर मध्यप्रदेष को सम्मानित करना पड रहा है।
उन्होंने कहा कि डाॅ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी और पं. दीनदयाल उपाध्याय ने जो सपना देखा था उसे प्रदेश सरकार कार्यरूप में बदल रही है। इस सफलता का श्रेय पार्टी के कार्यकर्ताओं को जाता है। जिनके बल पर हम समाज और देष के नवनिर्माण तथा आम आदमी के चेहरे पर मुस्कान लाने की अपनी प्रतिबद्धता में सफल हो रहे है। उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों से आग्रह किया कि वे मध्यप्रदेष के संदर्भ में वर्ष 2003 की जमीनी वास्तविकता और पिछले 9 वर्षों में प्रदेष में हुई ऐतिहासिक प्रगति उपलब्धियों से जन जन को अवगत कराए। 45 वर्षो में जहां प्रदेष में 44 हजार कि.मी. लंबी सड़के बनी थी अब तक हमने 80 हजार कि.मी. लंबी सड़के बनाकर गांवों को सड़को से जोडने का उपक्रम आरंभ किया है और हमारा लक्ष्य किसानो के खेत खलिहान को पक्की सडक से जोडने और विपणन के लिए समुचित संसाधन जुटाना है।
हम खुदरा क्षेत्र में एफडीआई का लगातार विरोध करेंगे और मध्यप्रदेश में इसे बर्दाष्त नहीं किया जायेगा। विद्युत के क्षेत्र में हुई उल्लेखनीय प्रगति का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेष में जहां 2900 मेगावाट बिजली का उत्पादन था हमने इसकी क्षमता बढाकर 10231 मेगावाट कर दी है। लगातार पावर प्लांट बनते जा रहे है और उत्पादन में वृद्धि हो रही है। 2014 तक मध्यप्रदेश देश में बिजली के मामले में सरप्लस राज्य बन जायेगा। इसी तरह ट्रांसमिषन में हमने उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है। उन्होंने कहा कि 29 पंचायतों के माध्यम से हम प्रदेष में जनता के हर वर्ग और समुदाय के बीच में पहंुचे है। पंचायतें सरकार और जनता के बीच में सेतु बनी है। जो वर्ग रह गया है हम उसे भी पंचायत के रूप में आमंत्रित कर गौरवान्वित करेंगे। जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी भागीदारी की भावना को मूत्र्तरूप देंगे। उन्होंने मध्यप्रदेश में आर्थिक सषक्तिकरण के चमत्कार के लिए राज्य सरकार की सक्रियता को श्रेय दिया और कहा कि केन्द्र में जहां राजस्व घट रहा है आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो रही है। मध्यप्रदेश में राजस्व संग्रह में तीन से चार गुना वृद्धि की जा रही है। मध्यप्रदेश को जहां 22 प्रतिषत राषि ब्याज में देना पड रही थी अब यह घटकर 8 प्रतिषत रह गयी है। मध्यप्रदेष में किसानों को प्रति हार्सपावर 1200 रू. के शुल्क की मंजूरी देकर किसानों को लाभान्वित किया गया है। इसके एवज में राज्य सरकार पर 4 हजार रू. प्रति हार्सपावर का भार पडा है। मध्यप्रदेष का किसान विदेष अध्ययन यात्रा पर जायेगा और कम पानी में अधिक सिंचाई और विपुल उत्पादन की तरकीबें सीखेगा जिससे मध्यप्रदेश में कृषि का नया शिल्प विकसित होगा।
उन्होंने कहा कि डाॅ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी और पं. दीनदयाल उपाध्याय ने जो सपना देखा था उसे प्रदेश सरकार कार्यरूप में बदल रही है। इस सफलता का श्रेय पार्टी के कार्यकर्ताओं को जाता है। जिनके बल पर हम समाज और देष के नवनिर्माण तथा आम आदमी के चेहरे पर मुस्कान लाने की अपनी प्रतिबद्धता में सफल हो रहे है। उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों से आग्रह किया कि वे मध्यप्रदेष के संदर्भ में वर्ष 2003 की जमीनी वास्तविकता और पिछले 9 वर्षों में प्रदेष में हुई ऐतिहासिक प्रगति उपलब्धियों से जन जन को अवगत कराए। 45 वर्षो में जहां प्रदेष में 44 हजार कि.मी. लंबी सड़के बनी थी अब तक हमने 80 हजार कि.मी. लंबी सड़के बनाकर गांवों को सड़को से जोडने का उपक्रम आरंभ किया है और हमारा लक्ष्य किसानो के खेत खलिहान को पक्की सडक से जोडने और विपणन के लिए समुचित संसाधन जुटाना है।
हम खुदरा क्षेत्र में एफडीआई का लगातार विरोध करेंगे और मध्यप्रदेश में इसे बर्दाष्त नहीं किया जायेगा। विद्युत के क्षेत्र में हुई उल्लेखनीय प्रगति का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेष में जहां 2900 मेगावाट बिजली का उत्पादन था हमने इसकी क्षमता बढाकर 10231 मेगावाट कर दी है। लगातार पावर प्लांट बनते जा रहे है और उत्पादन में वृद्धि हो रही है। 2014 तक मध्यप्रदेश देश में बिजली के मामले में सरप्लस राज्य बन जायेगा। इसी तरह ट्रांसमिषन में हमने उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है। उन्होंने कहा कि 29 पंचायतों के माध्यम से हम प्रदेष में जनता के हर वर्ग और समुदाय के बीच में पहंुचे है। पंचायतें सरकार और जनता के बीच में सेतु बनी है। जो वर्ग रह गया है हम उसे भी पंचायत के रूप में आमंत्रित कर गौरवान्वित करेंगे। जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी भागीदारी की भावना को मूत्र्तरूप देंगे। उन्होंने मध्यप्रदेश में आर्थिक सषक्तिकरण के चमत्कार के लिए राज्य सरकार की सक्रियता को श्रेय दिया और कहा कि केन्द्र में जहां राजस्व घट रहा है आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो रही है। मध्यप्रदेश में राजस्व संग्रह में तीन से चार गुना वृद्धि की जा रही है। मध्यप्रदेश को जहां 22 प्रतिषत राषि ब्याज में देना पड रही थी अब यह घटकर 8 प्रतिषत रह गयी है। मध्यप्रदेष में किसानों को प्रति हार्सपावर 1200 रू. के शुल्क की मंजूरी देकर किसानों को लाभान्वित किया गया है। इसके एवज में राज्य सरकार पर 4 हजार रू. प्रति हार्सपावर का भार पडा है। मध्यप्रदेष का किसान विदेष अध्ययन यात्रा पर जायेगा और कम पानी में अधिक सिंचाई और विपुल उत्पादन की तरकीबें सीखेगा जिससे मध्यप्रदेश में कृषि का नया शिल्प विकसित होगा।
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