सुमित्रा महाजन (बीजेपी) - नक्सलवाद लोकतंत्र और राष्ट्रीय अखण्डता के लिये जोखिम
नक्सलवाद लोकतंत्र और राष्ट्रीय अखण्डता के लिये जोखिम - सुमित्रा महाजन
भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेत्री, पूर्व केन्द्रीय मंत्री और सांसद सुमित्रा महाजन ने कहा कि नक्सलवाद वनवासियों की लड़ाई नहीं अपितु राष्ट्र विरोधी तत्वों से संघर्ष है जो देश में लोकतंत्र को समाप्त कर अपनी हिंसक तानाशाही थोपना चाहते हैं। नक्सलवाद देश के लिये गंभीर जोखिम है जिसके मूलोच्छेदन के लिये केन्द्र सरकार को दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ राज्यों को सशक्त बनाकर एकीकृत अभियान चलाना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि केन्द्र सरकार और कांग्रेस दिशाहीनता का शिकार है। अब तक केन्द्र सरकार के मंत्री और कांग्रेस के राजनेता नक्सलियों को अपने भटके हुए युवक बताकर शरण देते रहे हैं। तीन राज्यों में कांग्रेस विधानसभा चुनावों में नक्सलियों से मिली मदद के कारण कांग्रेस का रवैया ऐसा नरम, सूफियाना रहा कि पशुपतिनाथ से तिरूमाला नेपाल से लेकर आंध्रप्रदेश तक रेड कारिडोर का विस्तार हो गया है। इसका सबसे बड़ा कारण केन्द्र सरकार में दृढ़ इच्छाशक्ति का अभाव और प्रदेशो के साथ केन्द्र सरकार का राजनैतिक भेदभावपूर्ण व्यवहार रहा है। नक्सलवाद के प्रति कांग्रेस का नजरिया सियासी नफानुकसान का रहा है।
सुमित्रा महाजन ने कहा कि नक्सलवाद और आतंकवाद आंतरिक सुरक्षा और लोकतंत्र के लिये खतरा है। इनके विरूद्ध लड़ने के लिए केन्द्र सरकार से अपेक्षा की जा रही है कि राज्यों को मदद देकर सशक्त बनायेंगे, लेकिन केन्द्र सरकार लगातार राज्यों की उपेक्षा करते हुए असहयोग कर रही है। मध्यप्रदेश पुलिस आधुनिकीकरण को मिलनेवाली 100 करोड़ रूपए की राशि में कटौती कर उसे 23 करोड़ रूपये कर दिया गया है। मध्यप्रदेश सरकार ने आतंकवादी एवं उच्छेदक गतिविधियों तथा संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक 2010 पारित कर केन्द्र की मंजूरी के लिये भेजा था जिसे आज तक मंजूरी नहीं दी गयी जबकि इसी तरह का कानून महाराष्ट्र में लागू हो चुका है। एनसीटीसी के गठन में राज्यों को विश्वास में लेने के बजाय संघीय भावना की उपेक्षा की गयी।
सुमित्रा महाजन ने कहा कि केन्द्र सरकार को नक्सलवाद और आतंकवाद के विरूद्ध संयुक्त अभियान चलाने की आवश्यकता को समझना होगा, क्योंकि जिस तरह कांग्रेस ने टाडा कानून और पोटा को समाप्त कर सॉफ्ट गवर्नमेंट होने का परिचय दिया और इसे प्रचारित कराया है उससे देश में नक्सलियों और दहशतगर्दी को शह मिली है। मुख्यमंत्री सम्मेलन में प्रधानमंत्री का भाषण निरी औपचारिकता बनकर समाप्त हो गया है। केन्द्र सरकार को आतंकवाद और नक्सलवाद के विरोध में राज्यों को विश्वास में लेकर संयुक्त अभियान चलाने में ईमानदारी और प्रतिबद्धता का सबूत देना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार को ढाल बनाकर दहशत और नक्सलियों का समर्थन करने वालों की मंशा को भी जनता की अदालत में बेनकाब करना होगा।
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