कैलाश जोशी बीजेपी -सत्ता के दो केन्द्र संविधान का अवमूल्यन






सत्ता के दो केन्द्र संविधान का अवमूल्यन - कैलाश जोशी




मध्यप्रदेश के भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व मुख्यमंत्री और भोपाल के सांसद कैलाश जोशी ने कहा सच्चाई सिर चढ़कर बोलती है। भारतीय जनता पार्टी गत् 9 वर्षो से कहती रही है कि केन्द्र की व्यवस्था का लकवाग्रस्त होने का कारण केन्द्र में सत्ता का केन्द्र रेसकोर्स के वजाय 10, जनपथ होना है। अनिर्णय की स्थिति की परिणति ही ऐतिहासिक, अभूतपूर्व घोटालों और बेलगाम भ्रष्टाचार के रूप में हुई जिससे देश की छवि दुनिया में दागदार हुई है। यही बात कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने बयान की है जिस पर संशोधन के बजाय कांग्रेस के प्रवक्ता इसे आदर्ष स्थिति बताकर संविधान का मजाक उड़ा रहे है।

उन्होनें कहा कि संसदीय लोकतंत्र में संवैधानिक व्यवस्था है। केन्द्र में अधिकार प्रधानमंत्री में निहित होते है और प्रधानमंत्री देश की संसद और जनता के प्रति उत्तरदायी होता है। यदि प्रधानमंत्री को अन्यत्र से नियंत्रित, निर्दशित किया जा रहा है तो यह संविधान की अवमानना और लोकतंत्र का अवमूल्यन होना है। कैलाश जोशी ने कहा कि राजनैतिक दल के बलवूते पर भले ही सरकार गठित हो लेकिन प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री जनहित में स्वंय निर्णय लेने के लिए स्वायत्त होता हैं। यदि लोकतांत्रिक सरकार किसी बाहरी शक्ति के नियंत्रण में होगी तो जनता के लिए जनता की और जनता द्वारा सरकार की अवधारणा ही मिथ्या साबित होगी। आज देश में हकीकत कुछ यही है कि प्रधानमंत्री मंत्रालयों के निर्णयों से अनभिज्ञ रहते है। 2-जी स्पेक्ट्रम जैसे घोटाला हो जाता है और देश के प्रधानमंत्री की स्थिति हास्यास्पद सिद्ध होती है। दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस पार्टी के अनुशासन की मर्यादा का उल्लंघन किया या नहीं यह दल का अंदरूनी मामला है। लेकिन उन्होनें जो टिप्पणी की है वह एक हकीकत है।












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