मध्यप्रदेश - भाजपा जवाब दे क्या प्रधान मंत्री को विपक्षी दल के मुख्य मंत्रियों की सिफारिश को वजन नहीं देना चाहिए ?: भूरिया
भाजपा जवाब दे क्या प्रधान मंत्री को विपक्षी दल के मुख्य मंत्रियों की सिफारिश को वजन नहीं देना चाहिए ?: भूरिया
मध्यप्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया ने भारतीय जनता पार्टी के मुख्य प्रवक्ता एवं राज्य सभा में विपक्ष के उपनेता रविशंकर प्रसाद द्वारा रविवार को भोपाल में पत्रकार वार्ता में कोल ब्लाक आवंटन को लेकर की गई टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि रविशंकर प्रसाद की टिप्पणियों और तर्कों से तो यही जाहिर होता है कि भाजपा केवल यही चाहती है कि कोल ब्लाक आवंटन के मामले में प्रधान मंत्री डाॅ. मनमोहनसिंह की ओर ही उंगलियां उठती रहे और भाजपा के जिन मुख्य मंत्रियों ने कोल ब्लाकों की नीलामी की उनके आवंटन के लिए प्रधान मंत्री पर भारी दबाव बनाया था, उन्हें साफ बचा लिया जाए। अब यह तथ्य स्पष्प्ट रूप में सामने आ चुका है कि प्रधान मंत्री मूलतः कोल ब्लाकों की नीलामी चाहते थे। यदि भाजपा के मुख्य मंत्रियों की ओर से लिखित सिफारिश और दिल्ली में उनके द्वारा सशक्त लाॅबिंग के जरिये उन पर भारी दबाव न बनाया गया होाता तो वे तो नीलामी का फैसला ही लेते।
भूरिया ने कहा है कि हमारे देश में संघीय शासन प्रणाली काम कर रही है। उसमें राज्यों और मुख्य मंत्रियों की संवैधानिक अहमियत को भी स्वीकार किया गया है। ऐसी दशा में भाजपा जवाब दे कि क्या देश के प्रधान मंत्री को किसी विषय पर विपक्षी दल के मुख्य मंत्रियों की सिफारिशों को समुचित वजन नहीं देना चाहिए ? क्या विपक्षी दलों के मुख्य मंत्रियों की बात को नजरअंदाज करके किसी विषय पर फैसला करने को प्रधान मंत्री की मनमानी के रूप में देखा जाकर विपक्षी दल उसकी आलोचना नहीं करेंगे ?
भूरिया ने यह भी कहा है कि एक तरफ तो भारतीय जनता पार्टी म.प्र. के मुख्य मंत्री शिवराजसिंह चैहान द्वारा दो नवम्बर 2007 के पत्र के माध्यम से रिलायंस कंपनी के प्रति विशेष आग्रही होकर कोल ब्लाक आवंटन के लिए की गई मांग को ‘‘प्रदेश हित’’ और ‘‘जनहित’’ में बताकर मुख्य मंत्री का बचाव करते हुए उनको दबाव के आरोप से मुक्त करती है और दूसरी तरफ पार्टी के एक राष्ट्रीय नेता रविशंकर प्रसाद को भोपाल बुलाकर शिवराजसिंह की पैरवी कराती है। इस स्थिति से ये संकेत मिलते हैं कि कोल ब्लाक आवंटन को लेकर भाजपा का राष्ट्रीय और प्रादेशिक नेतृत्व भी पूरी तरह असमंजस में है और उसका आत्म विश्वास भी डगमगाया हुआ है। यदि ऐसा न होता तो पार्टी के राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता को मुख्य मंत्री के बचाव में इस तरह प्रदेश में लाने की जरूरत नहीं पड़ती। आपने कहा है कि भाजपा नेता किसी प्रकार की गलतफहमी में न रहे। प्रदेश और देश की जनता भाजपा की इन राजनीतिक कलाबाजियों के पीछे के सच को ठीक से समझ रही है। अ बवह गुमराह होने वाली नहीं है।
म.प्र. कांगे्रस अध्यक्ष ने कहा है कि लोक सभा की कार्यवाही न चलने देने के पीछे भाजपा का यह तर्क भी बेमानी है कि केंद्र सरकार सदन में चर्चा के माध्यम से कोल ब्लाक आवंटन के मुद्दे को दबाना चाहती है। भाजपा की यह सोच लोकतांत्रिक सोच नहीं है, क्योंकि बड़े-बड़े मुद्दे निर्वाचित सदनों में बहस के जरिये अपनी अंतिम परिणति तक पहुंचे हैं। आपने आरोप लगाते हुए कहा है कि भाजपा आजकल लोकतांत्रिक मंचों को कमजोर और महत्वहीन करने में लगी हुई है। उसकी राज्य सरकारें भी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विधान सभा में बहस से कतराने लगी हैं। म.प्र. की भाजपा सरकार ने कांग्रेस के दो विधायकों के निलंबन की आड़ लेकर विधान सभा के पावस सत्र को बिना किसी औचित्य के तीन दिन में ही समाप्त करवा दिया था। नतीजन पावस सत्र में कांगे्रस विधायक दल की पूर्व सूचनाओं के बावजूद भी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सदन में बहस नहीं हो सकी। भूरिया ने कहा है कि कांगे्रस विधान सभा, लोक सभा आदि निर्वाचित सदनों की प्रतिष्ठा पर किसी प्रकार की आंच नहीं आने देने के लिए वचनबद्ध है।
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GEET
Chief Editor
HINDUSTAN VICHAR (National Magazine)
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