कांग्रेस : शिवराज सरकार खनिज माफिया के सामने घुटने टेकने की बजाय उससे सख्ती से निपटे - भूरिया
कांग्रेस : शिवराज सरकार खनिज माफिया के
सामने घुटने टेकने की बजाय उससे सख्ती से निपटे - कांतिलाल भूरिया
मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया ने
म.प्र. के
मुरैना जिले के सबलगढ़ अनुविभाग के भयाना गांव में भारतीय
प्रशासनिक सेवा के एसडीएम अभिषेकसिंह खनिज माफिया द्वारा ट्रैक्टर से कुचलने
के प्रयास की घटना की कठोर शब्दों में निंदा करते हुए कहा है कि इस घटना ने मुरैना
जिले के ही बानमोर में होली के दिन 8 मार्च 2012 को खनिज माफिया द्वारा
युवा आईपीएस अधिकारी नरेन्द्रकुमार की जघन्य हत्या की घटना को ताजा कर
दिया है। इसके अलावा माफिया एक देवास जिले की कन्नौद तहसील की महिला
तहसीलदार तथा अन्य शासकीय सेवकों को ड्यूटी के दौरान वाहन से कुचलकर मारने की
कोशिशें कर चुका है। आपने कहा है कि शिवराज सरकार पिछले कुछ दिनों से ऐसा
प्रचारित कर रही है कि उसने प्रदेश में खनिज माफिया पर काबू पा लिया है और
उसके अवैध खनन के कारोबार पर भी सरकार नियंत्रण पा चुकी है, किंतु जमीनी सच्चाई
इस प्रचार के बिल्कुल भिन्न है। मुरैना जिले की इस ताजा घटना ने जाहिर
कर दिया है कि खनिज माफिया के हौसले अभी भी पहले की तरह ही आसमान को छू
रहे हैं, क्योंकि
भाजपा नेताओं और मंत्रियों के संरक्षण और आशीर्वाद के हाथ अभी भी माफिया की पीठ पर
बरकरार हैं। भूरिया ने कहा है कि प्रदेश में भाजपा सरकार के चलते पिछले 9 वर्षों में पनपे
अवैध खनन के कारोबार
और खनिज माफियाओं द्वारा राज्य के खनिज क्षेत्रों में संचालित समानांतर सरकार के
खिलाफ कांग्रेस द्वारा छेड़े गए अभियान के इतिहास को देखने पर यह बात
साफ तौर पर सामने आती है कि कांग्रेस ने जहां एक ओर अवैध खनन के कारोबार की
प्रदेशव्यापी जांच सीबीआई से कराने की मांग मुख्य मंत्री शिवराजसिंह चैहान
से की थी, वहीं
दूसरी ओर विधान सभा के पावस सत्र में कांगे्रस विधायक दल ने खनिज माफियाओं और
भाजपा के सत्ताधीशों की सांठगांठ के पर्दाफाश की रणनीति भी बनाई थी, लेकिन विधान सभा का
वह सत्र तीन दिन में ही मनमाने तौर पर समाप्त करवा दिया गया। दूसरी तरफ मुख्य
मंत्री ने खनिज
के अवैध कारोबार की सीबीआई से जांच कराने के संबंध में अभी तक कोई सिफारिश नहीं की है।आपने
कहा है कि इस विषय पर विधान सभा और राज्य सरकार का जो रवैया अब तक सामने
आया है, उससे
साफ तौर पर जाहिर हो चुका है कि भाजपा संगठन और मुख्य मंत्री दोनों अघोषित रूप से
खनिज माफिया को बचाने और उसके काले कारोबार के सच को दबाने के प्रयास में पूरी ताकत के
साथ लगे हुए हैं। यही रवैया अप्रत्यक्ष रूप से खनिज माफिया संजीवनी साबित हो
रहा है। इन बातों
को देखते हुए अब मुख्य मंत्री और भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष को यह कहने का नैतिक अधिकार
नहीं रह गया है कि वे अवैध खनन के खिलाफ हैं और अवैध उत्खनन को रोकना
चाहते हैं। आपने कहा है कि यह सच अब प्रदेश की जनता के सामने आ चुका है कि
प्रदेश को खनिज संपदा के मामले में कंगाल बनाने का कारोबार भाजपा, उसकी सरकार और खनिज
माफियाओं की मिली भगत से बेरोकटोक चल रहा है। माफियाओं को अब किसी का जरा भी डर
नहीं रह गया है।
दिया है। इसके अलावा माफिया एक देवास जिले की कन्नौद तहसील की महिला
तहसीलदार तथा अन्य शासकीय सेवकों को ड्यूटी के दौरान वाहन से कुचलकर मारने की
कोशिशें कर चुका है। आपने कहा है कि शिवराज सरकार पिछले कुछ दिनों से ऐसा
प्रचारित कर रही है कि उसने प्रदेश में खनिज माफिया पर काबू पा लिया है और
उसके अवैध खनन के कारोबार पर भी सरकार नियंत्रण पा चुकी है, किंतु जमीनी सच्चाई
इस प्रचार के बिल्कुल भिन्न है। मुरैना जिले की इस ताजा घटना ने जाहिर
कर दिया है कि खनिज माफिया के हौसले अभी भी पहले की तरह ही आसमान को छू
रहे हैं, क्योंकि
भाजपा नेताओं और मंत्रियों के संरक्षण और आशीर्वाद के हाथ अभी भी माफिया की पीठ पर
बरकरार हैं। भूरिया ने कहा है कि प्रदेश में भाजपा सरकार के चलते पिछले 9 वर्षों में पनपे
अवैध खनन के कारोबार
और खनिज माफियाओं द्वारा राज्य के खनिज क्षेत्रों में संचालित समानांतर सरकार के
खिलाफ कांग्रेस द्वारा छेड़े गए अभियान के इतिहास को देखने पर यह बात
साफ तौर पर सामने आती है कि कांग्रेस ने जहां एक ओर अवैध खनन के कारोबार की
प्रदेशव्यापी जांच सीबीआई से कराने की मांग मुख्य मंत्री शिवराजसिंह चैहान
से की थी, वहीं
दूसरी ओर विधान सभा के पावस सत्र में कांगे्रस विधायक दल ने खनिज माफियाओं और
भाजपा के सत्ताधीशों की सांठगांठ के पर्दाफाश की रणनीति भी बनाई थी, लेकिन विधान सभा का
वह सत्र तीन दिन में ही मनमाने तौर पर समाप्त करवा दिया गया। दूसरी तरफ मुख्य
मंत्री ने खनिज
के अवैध कारोबार की सीबीआई से जांच कराने के संबंध में अभी तक कोई सिफारिश नहीं की है।आपने
कहा है कि इस विषय पर विधान सभा और राज्य सरकार का जो रवैया अब तक सामने
आया है, उससे
साफ तौर पर जाहिर हो चुका है कि भाजपा संगठन और मुख्य मंत्री दोनों अघोषित रूप से
खनिज माफिया को बचाने और उसके काले कारोबार के सच को दबाने के प्रयास में पूरी ताकत के
साथ लगे हुए हैं। यही रवैया अप्रत्यक्ष रूप से खनिज माफिया संजीवनी साबित हो
रहा है। इन बातों
को देखते हुए अब मुख्य मंत्री और भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष को यह कहने का नैतिक अधिकार
नहीं रह गया है कि वे अवैध खनन के खिलाफ हैं और अवैध उत्खनन को रोकना
चाहते हैं। आपने कहा है कि यह सच अब प्रदेश की जनता के सामने आ चुका है कि
प्रदेश को खनिज संपदा के मामले में कंगाल बनाने का कारोबार भाजपा, उसकी सरकार और खनिज
माफियाओं की मिली भगत से बेरोकटोक चल रहा है। माफियाओं को अब किसी का जरा भी डर
नहीं रह गया है।
Ariticle By
Geet (Chief Editor HINDUSTAN VICHAR)
National Magazine & Blog
hindustanvichar@yahoo.in
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