म.प्र में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया - बाबा रामदेव भोग-वृत्तियों से मुक्त होकर विचारवादी राजनीति का हिस्सा क्यों नहीं बनते
बाबा रामदेव भोग-वृत्तियों से मुक्त होकर विचारवादी राजनीति का हिस्सा क्यों नहीं बनते: भूरिया
म.प्र में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया ने योग गुरू कहलाने वाले बाबा रामदेव को ‘‘भोग गुरू’’ संबोधित करते हुए कहा है कि यदि उन्हें राजनीति ही करना है तो वे खुलकर राजनीति करें। भगवा वस्त्रों की आड़ लेकर राजनीति करना एक प्रपंच के सिवाय और कुछ नहीं है।
भूरिया ने बाबा रामदेव द्वारा योग और धर्म के नाम पर बनाये गये मंचों से भाजपा सरकारों और पार्टी को चुनाव में फायदा पहुंचाने की दृष्टि से दिये जा रहे प्रवचनों की घोर निंदा करते हुए कहा है कि ‘‘व्यास-गद्दी’’, ‘‘राज-गद्दी’’ से ऊपर और श्रेष्ठ होती है। संतों को संतों की भाषा, भूषा और आचरण ही शोभा देता है। पर जब कोई भगवा वस्त्रों के आवरण में धन-लिप्सा, आश्रम-लिप्सा और कंपनी निर्माण-लिप्सा में लीन हो जाता है, तब वह संत नहीं रह जाता। अपने उच्च आसन से गिरकर भू-लुंठित होने लगता है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि भारतीय संविधान बहुदलो और बहु-विचारों के लिये उदारतापूर्वक अवसर उपलब्ध कराता है। स्वयं कांग्रेस पार्टी भी एक दलीय या एक विचारीय प्रणाली पर विश्वास नहीं करती, लिहाजा वह बाबा रामदेव को राजनीति के मैदान में एक राजनेता की तरह खुलकर आने का न्यौता देती है। वे जनता को संत-स्वरूप से आकर्शित करके, छल-कपट के साथ संघ और भाजपा के एजेंडे में शामिल कराने के कुचक्रों से बाहर निकलें।
भूरिया ने बाबा रामदेव को सलाह दी है कि वे अपना चित्त पवित्र करने के लिए पहले अपनी 400 नकली कंपनियों का गंगा-जल में विसर्जन करें, आयकर और कंपनी कर की देनदारियां चुकाएं और तलवार थामने का जज्बा हो तो सलवार का मोह त्यागें। वे राजनीति के मैदान में आकर चुनाव लड़ें और वैचारिक संघर्षों से लोकतंत्र को मजबूत बनाने की भूमिका स्वीकार करें।
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