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भारतीय प्रशासनिक सेवा के 10 अधिकारियों की पदस्थापना

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भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की पदस्थापना राज्य शासन ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के 10 अधिकारियों की नवीन स्थापना की है। सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में आज आदेश जारी किये हैं। क्र अधिकारी का नाम वर्तमान पदस्थापना नवीन पदस्थापना 1 डी. सिंघई संचालक आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्थान  से अब अध्यक्ष, राजस्व मंडल, ग्वालियर। 2 प्रसन्न कुमार दाश प्रबंध संचालक, मध्यप्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम तथा प्रबंध संचालक, मध्यप्रदेश ट्रेड एण्ड इन्वेस्टमेंट फेसिलिटेशन कार्पोरेशन लिमिटेड (ट्रायफेक) तथा पदेन प्रमुख सचिव, वाणिज्य, उद्योग एवं रोजगार विभाग से अब प्रमुख सचिव, वाणिज्य, उद्योग एवं रोजगार विभाग। 3 जयदीप गोविन्द प्रमुख सचिव, पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से अब  मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी तथा पदेन प्रमुख सचिव, विधि एवं विधायी कार्य विभाग। 4 पी.सी. मीना मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी तथा पदेन प्रमुख सचिव, विधि एवं विधायी कार्य विभाग  से अब   आयुक्त-सह-पंजीयक, सहकारी संस्थाएँ तथा प्रबंध संचालक, राज्य सहकारी तिलहन उत्पादक स...

खत्म करो ये भ्रष्टाचार, लागू करो सखत लोकपाल

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ऐसा तो शायद ७३ वर्षीय समाजिक कार्यकर्ता अण्णा हजारे ने भी कभी नही सोचा होगा की उन्हें ऐसा देशव्यापी जन समर्थन मिलेगा जो भारत के इतिहास मे अभी तक शायद ही किसी नेता को मिला हो नौ दिनो के आमरण अनशन  पर बैठे गाँधीवादी नेता अण्णा हजारे ने 9 अप्रैल को जैसे ही जंतर-मंतर पर अपना अपशन तोड़ा तब उन्हे मिले देशव्यापी समर्थन से यह तो स्पष्ट हो गया की भ्रष्टाचार के खिलाफ देश की जनता मे कितना आक्रोश है पूरे भारत के 450 शहरो मे भ्रष्टाचार के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनी  ने भारत की सरकार को इस समाजिक कार्यकर्ता के सामने घुटने टेकने को विवश होना पड़ा और देश की जनता के सामने यह साफ हो गया की महज यह एक चुनावी राजनिति नही हैं। अण्णा हजारे का कहना है कि अगर 15 अगस्त तक लोकपाल विधेयक नही बना तो तिरंगा फिर उनके कंधो पर होगा। अण्णा हजारे चाहते है की भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई की अगुआई ऐसे लोग करे जो किसी राजनैतिक पार्टी से न हो जिनके चरित्र साफ हो अण्णा हजारे के अनशन तोड़ने के बाद वकील और समाजिक कार्यकर्ता प्रशांत  भूषण ने कहा की लोकपाल विधेयक मे सरकारी अधिकारियो सहित सभी राजनैतिज्ञो जो ...

खत्म करो ये भ्रष्टाचार, लागू करो सखत लोकपाल

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खत्म करो ये भ्रष्टाचार लागू करो सखत लोकपाल ऐसा तो षायद 73 वर्षीय समाजिक कार्यकर्ता अण्णा हजारे ने भी कभी नही सोचा होगा की उन्हें ऐसा देषव्यापी जन समर्थन मिलेगा जो भारत के इतिहास मे अभी तक षायद ही किसी नेता को मिला हो नौ दिनो के आमरण अनषन पर बैठे गाँधीवादी नेता अण्णा हजारे ने 9 अप्रैल को जैसे ही जंतर-मंतर पर अपना अपषन तोड़ा तब उन्हे मिले देषव्यापी समर्थन से यह तो स्पष्ट हो गया की भ्रष्टाचार के खिलाफ देष की जनता मे कितना आक्रोष है पूरे भारत के 450 षहरो मे भ्रष्टाचार के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्षनी ने भारत की सरकार को इस समाजिक कार्यकर्ता के सामने घुटने टेकने को विवष होना पड़ा और देष की जनता के सामने यह साफ हो गया की महज यह एक चुनावी राजनिति नही हैं। अण्णा हजारे का कहना है कि अगर 15 अगस्त तक लोकपाल विधेयक नही बना तो तिरंगा फिर उनके कंधो पर होगा।अण्णा हजारे चाहते है की भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई की अगुआई ऐसे लोग करे जो किसी राजनैतिक पार्टी से न हो जिनके चरित्र साफ हो अण्णा हजारे के अनषन तोड़ने के बाद वकील और समाजिक कार्यकर्ता प्रषांत भूषण ने कहा की लोकपाल विधेयक मे सरकारी अधिकारियो सहित सभ...

हँगामा है क्यों बरपा ----- ?

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लेखक -               अजय धीर               संपादक संवाद ब्यूरो (समाचार पत्र) हँगामा है क्यों बरपा ----- ? भोपाल या भोजपाल मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने राजा भोज के राज्यरोहण सहस्त्राब्दी समारोह का भोपाल मे आयोजन कर भोपाल के नाम को भोजपाल करने की घोषणा क्या की के एक हँगामा खड़ा हो गया,   सच तो यही है की दो गुटो मे बँट गये भोपाल के रहवासी और नाम परिवर्तन पर शुरू    हो गई राजनिति वैसे देखा जाये तो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री का तर्क सही ही लगता है की भोपाल शहर का नाम पराक्रमी राजा और उच्च कोटी के विद्वान राजा भोज के नाम पर भोजपाल होना चाहिए। भोपाल के बड़े तलाब के किनारे परमार राजा भोज की प्रतिमा के अनावरण के साथ ही मुख्यमंत्री ने घोषणा की भोपाल का नाम अब भोजपाल होगा जिसका प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा जायेगा और बड़ा तलाब अब भोजताल और वी.आई.पी रोड का नाम अब भोज मार्ग होगा वैसे इतिहास इस बात का साक्षी हैं कि...

किसानो को फसलो का लागत मूल्य मिलना चाहिए - शिवकुमार शर्मा

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शिवकुमार शर्मा अध्यक्ष भारतीय किसान संघ शिवकुमार शर्मा से हिन्दुस्तान विचार के संपादक गीत धीर का साक्षात्कार विगत दिनो भोपाल में पालिटेक्निक काॅलेज चैराहे पर भारतीय किसान संघ के धरने प्रदर्षन ने न केवल मध्यप्रदेश  की सराकार को हिला कर रख दिया ब्लकि राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्था को भी अस्त व्यस्त कर मध्यप्रदेश  पुलिस के खुफिया तंत्र को भी नकारा साबित कर दिया। क्यों उग्र हैं मध्यप्रदेश के किसान क्या मुख्य माँगे हैं प्रदेश सरकार से उनकी कैसे रुकेगा प्रदेश  में किसानो का षोषण ?   इससे इतने परेषान हो गये मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान कि उन्होंने भी 13 फरवरी को किसानो के हित में धरना और उपवास की घोषणा तक कर डाली इसी संबध में प्रस्तुत हैं भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा  से हिन्दुस्तान विचार के संपादक गीत धीर का साक्षात्कार। प्रशन- आपके जीवन परिचय के संबध में कुछ बताईये ? उत्तर- मेरा जन्म मध्यप्रदेश के होशगाबाद जिले के ग्राम मे किसान परिवार में हुआ कृषि ही हमारे परिवार का पैतृक व्यवसाय हैं किसानो का षोषण और किसा...

हाथी के दाँत खानें के और दिखाने के और

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आजकल मध्यप्रदेश  राज्य में जनता को कैसे मूर्ख बनाया जा रहा हैं इसका सीधा उदारहण मध्यप्रदेश राज्य की राजधानी भोपाल के सबसे महत्वपूर्ण स्थल को देखकर लगाया जा सकता हैं आजकल म.प्र. के नेता बिना सोचे समझे फेसले करते दिखाई दे रहे हैं और इनके कुछ इन्ही फैसलो से किस प्रकार की हानी हो रही हैं यह साफ तौर पर देखा जा सकता हैं। मध्यप्रदेश में एक ओर तो मंत्री और नेताओ ने भोपाल के सबसे खुबसूरत स्थल लेक व्यू रोड से अतिकम्रण हटाने के नाम पर लगभग सत्तर वर्षो से बसे लोगो के घरो को नष्ट कर दिया ताकि रोड को चैड़ा किया जाये अथवा इस बड़े तलाब में प्रदूषण न हो परन्तु वही दूसरी ओर यहाँ पर हाथ ठेलो वालो को जगह मिल गई हैं जिनकी संख्या देखते देखते इतनी बड़ गई हैं कि शाम  के समय  यहाँ   पैदल चलना भी मुशकिल होता जा रहा हैं इन चाय, समोसा, पानी पूरी, भेल पूरी, पान तंबाकू आदि के ठेलो से लोग सामान खरिदने के बाद कचरा सीधा बड़े तलाब में डाल रहे हैं इन सब बातो में सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात यह हैं कि लेक व्यू उर्फ बड़े तलाब को  पाॅलिथीन रहित क्षेत्र घोषित किया गया था प...

यह क्या बोल गए शिवराज

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यह क्या बोल गए शिवराज vkvks   lh-,e- & lh-,e- खेले   राज्य सभा अंग्रजो की देन हैं। इसका कोई औचित्य नही। मध्यप्रदेश  के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चैहान ने राज्य सभा खत्म करने का एक नया मुद्धा उठा कर राज्य सभा के अस्तित्व पर प्रशन  चिन्ह लगा दिया है इससे मुझे अपने बचपन का वो खेल याद आ गया जो हम बचपन मे खेला करते थे। मेरा बचपन ग्रामीण क्षेत्रो और घनी बस्तियो में बीता हैं मुझे उस समय की याद आती हैं जब हम बच्चें थें और बचपन में कई प्रकार के खेल खेला करते थें बच्चों का एक समूह जिसमें हमउम्र लड़के लड़कियाँ दोनो होते थे मिलकर छुपन छुपीया या घर गृहस्थी को चलाने  शादी विवाह करने, भगवान की पूजा करने आदि ऐसे कार्या को खेल का अंग बना लेते थे जो अब वास्तविक जीवन में हम करते हैं जब बच्चे यह खेल खेलते थे तो कई बार वे मर्यादा भूल जाते थे और बड़े उनको देखते थे तो या तो वे इस बात का हँसी में या नादान बच्चे ऐसा कहकर छोड़ देते थे लेकिन अब वास्तविक जीवन में ये नादनियाँ आगे चलकर विकराल रुप ले लेती हैं चूकी बचपन में खेले गये खेल व्यस्क जीवन में खेल न होकर वास्तविकता बन ...