कब खुलेगी सरकार की आँखे ?
कब खुलेगी सरकार की आँखे ?
आज के दौर में जब अन्ना हजारे जैसे लोग देश को सत्य और तरक्की की राह पर लाने के लिए अपनी जान पर खेल कर क्या कुछ नही कर रहे हैं, वही दूसरी ओर कुछ सरकारी अधिकारी / कर्मचारी देश भक्त होने का खोखला दावा करके सरकार को चूना लगाने से नही चूक रहे हैं। इस बात में कितना सत्य हैं यह प्रत्येक इंडियन काॅमन मैन अच्छी तरह से बखुबी जानता हैं। आज चाहे बात हो राशन कार्ड बनवाने की यह किसी सरकारी योजना का लाभ उठाने की हर जगह भष्टाचार इस कदर हाबी हो गया हैं कि पूछेयी ही मत। अब तो वो दौर आ गया है जहँा एक इंसान का दूसरे इंसान के ऊपर से भरोसा ही उठ गया हैं। आज एक आम इंसान जिस बात से सबसे अधिक डरता है वह मंहगाई नही बल्कि वो है सरकारी अधिकारी / कर्मचारी से किसी प्रकार के काम के लिए इनके चूंगल में ना फंस जाये और इसका प्रमुख कारण हैं हमारे देश की सरकार जो र्सिफ नाम मात्र की ही निष्पक्ष है और यहँा पर केवल मेरा इशारा ही काफी है क्योंकि सरकारी काम के दौरान हर पडि़त काॅमन मैन यह बात अच्छे से जनता हैं और मेरे पास भी इस बात के अनेकों उदाहरण हैं जहँा यह बात साफ हैं कि सरकार अपने भष्ट अधिकारी / कर्मचारीयो के लिए कितनी परवाह करती हैं। आज एक इंडियन काॅमन मैन को भले ही किसी भी प्रकार का सरकारी काम हो चाहे वो बिजली मीटर के लिए आवेदन करना, पानी की लाईन के लिए कोई कार्य, पुलिस विभाग से संबंधित कोई कार्य, कृषि संबंधित कोई कार्य हो एक आम व्यक्ति किसी भी सरकारी कार्यालय मे प्रवेश करने के पहले ही समझता हैं कि कार्यालय में प्रवेश किया तो काम हो न हो जेब तो ढिल्ली करनी ही पड़ेगी और सरकार जब यह सब मूक दशक बन कर देख रही हैं की सरकारी अधिकारी / कर्मचारी भष्टाचार का सख्ती से प्रयोग कर आम जनता का पैसे लूट रहे है इन पर कोई ठोस कदम उठाकर कोई कार्यावाही नही कर रही हैं तो यह बात तो बिलकुल ही साफ है कि भष्टाचार की राशी मे सरकार के वरिष्ट नेताओं / मंत्रियों का भी एक बड़ा हाथ हैं और ऐसे में मेरे हिसाब से यह तो असंभव हैं कि सरकार की आँखे खुलेगी।
गीत धीर
संपादक
हिन्दुस्तान विचार
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